Lakhimpur/Dev Srivastava: सोचिये आप उत्साहित होकर वोट डालने बूथ पर गए। बूथ कर्मचारी ने मतदाता पहचान पत्र देखा। अचानक वह कहता है कि आप वोट नहीं डाल सकते। जब कारण पूछा तो पता चला कि आप या तो कहीं चले गए हैं या फिर मर गए हैं। ऐसे में आपके दिल पर क्या बीतेगी।
वोट न दे पाने का जिम्मेदार कौन ?
शहर के मोहल्ला शाहपुरा कोठी निवासी राम गोपाल की बेटी अर्चना सदर प्राथमिक विद्यालय में वोट डालने के लिए परिवार के साथ गई थी। परिवार के सभी लोगों ने मतदान कर्मी के पास पहुंचकर अपने नाम की पुष्टि करवाते हुए निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की। जब अर्चना का नंबर आया तो बूथ कर्मी ने उनसे पर्ची ली। रजिस्टर में नाम खोजा तो चौकाने वाला तथ्य आया। निर्वाचन कर्मी ने बताया कि लिस्ट में आपका नाम नहीं है| अर्चना ने जब इसका मतलब पूछा तो निर्वाचन कर्मी ने बताया कि इसका मतलब यह है कि या तो आप चली गई हैं या फिर आप हैं नहीं मतलब मर गई हैं।
इस बात पर अर्चना ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब वह जीती-जागती सामने खड़ी हैं तो कहीं चले जाने या मर जाने का सवाल ही नहीं उठता। अर्चना के परिवार वालों ने बताया कि उसका नाम क्यों काटा गया यह समझ नहीं आ रहा। अर्चना की शादी भी नहीं हुई है। उन्होंने इसके लिए बीएलओ को जिम्मेदार ठहराया। कोई भी बीएलओ उनके घर नहीं आया।
अर्चना ने कहा मेरे साथ धोखा हुआ
नाराजगी जाहिर करते हुए अर्चना ने कहा कि यह तो लोकतंत्र में उसके साथ धोखा है। वह अपने मनपसंद प्रत्याशी को वोट नहीं दे सकतीं। सबके साथ आकर भी वह वोट डालने से वंचित रहीं। लेकिन सबसे बड़ा झटका उन्हें यह लगा जब सामने होते हुए भी उन्हें कर्मी ने कहीं चली जाने या मौजूद ही न होने की बात कही। यह खामी निर्वाचन आयोग में लगे जिम्मेदारों की पोल खोलने को काफी है।
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