देव श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी।
अपने अदम्य साहस से दुधवा जंगल की शेरनी कहीं जाने वाली पुष्पाकली की मौत के बाद इन दिनों उसकी जगह को भरने के लिए दुधवा में रस्साकशी जैसा माहौल बना हुआ है। बाघ पकड़ने से लेकर कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अमलीजामा पहनाने वाली पुष्पाकली के नाम से कई साहसिक कारनामे जुड़े हुए हैं।
दुधवा टाइगर रिजर्व की चर्चित और बाघ पकड़ने में माहिर हथनी पुष्पाकली की मौत कुछ दिनों पूर्व हो चुकी है। ऐसे में उसकी जगह को लेकर नाम तो कई आते है। लेकिन जो नाम सामने आ रहा है। वह हथनी गंगाकली है। गंगाकली ने भी दुधवा में चले कई ऑपरेशन को बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। हालांकि पुष्पा कली का मुकाबला और उसकी तुलना कोई नहीं कर सकता है। लेकिन उसकी जगह पर अब दुधवा में होने वाले सभी ऑपरेशनों में गंगाकली का सहयोग लिया जाएगा। डिप्टी डायरेक्टर महावीर कन्नौजी का भी यही मानना है। कि अब पुष्पा कली की तरह गंगाकली भी दुधवा का पूरा सहयोग करेगी। वैसे तो दुधवा में और भी अन्य हाथी भी है। लेकिन अन्य हाथियों के बस की बात नहीं है। हालांकि पिछले काफी समय से पुस्पाकली से कोई काम नहीं लिया गया था। अब उसकी गैरमौजूदगी में अब होने वाले ऑपरेशन का जिम्मा गंगाकली के ऊपर ही आयेगा।सैलानियों को घुमाने के लिए पर्याप्त हाथी दुधवा में है। उसको मिलाकर कुल 14 हाथी दुधवा में थे। जिसमें अब पुस्पाकली के न रहने के बाद अब 13 हाथी शेष बचे हैं। जिसमे सुहेली और विनायक भी शामिल है। जिनकी उम्र 4 साल है। ऐसे में फिलहाल उनसे किसी तरह का काम नहीं लिया जा सकता। बचे 11 हाथियों में मोहन बिगड़ैल स्वभाव का है। रूपकली इस समय घायल है। सुंदर नाम की हाथी के पैर में दिक्कत है। बाकी बचे अन्य हाथियों से सैलानियों को जंगल भ्रमण कराया जाता है। इन हाथों को जरुरत पड़ने पर आसपास के इलाकों में भी भेज दिया जाता है।
आप को बताते चले कि पुष्पाकली इतनी हिम्मती थी। कि बाघ सामने होता था। पर मजाल है। एक कदम भी पीछे हट जाये। दुधवा में न जाने कितने शिकारियों को पकड़ा पुष्पाकली ने दुधवा किसान बढाई है।