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पीएफआई के 35 सदस्य गिरफ्तार, यूपी में छापेमारी जारी

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए एटीएस और पुलिस के साथ एसआईटी की दबिश लगातार जारी है। वहीं अब तक पीएफआई से जुड़े 35 व्यक्तियों को राज्य के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किए जा चुका है। इन सभी को विभिन्‍न आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दबोचा गया है। पीएफआई एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। झारखंड में इसी वर्ष इस संगठन को प्रतिबंधित किया था।

 

यूपी के छह जिलों में छापेमारी

उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ एसआईटी औश्र एटीएस सूबे में पीएफआई पर शिकंजा कसती जा रही है। जिसमे चलते मेरठ, सहानरपुर, शामली, लखनऊ, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर पीएफआई से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।

प्रतिबंध की उठ रही मांग

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर हुई हिंसा में पीएफआई के सदस्‍यों के शामिल होने की जानकारी के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है। इससे पहले पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमॉक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन को पुलिस अरेस्‍ट कर चुकी है। लखनऊ पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश संयोजक वसीम अहमद समेत अन्य पदाधिकारियों को भी शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी करने के मामले में गिरफ्तार किया था।

CAA को लेकर यूपी हिंसा से जुड़े मिले पीएफआई के तार

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भड़की हिंसा में पीएफआई का नाम प्रमुखता से सामने आया था। यूपी पुलिस का दावा है कि यूपी हिंसा पीएफआई की अहम भूमिका है। पुलिस और सरकार ने दावा किया है कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लोग पीएफआई नाम के संगठन में शामिल हुए और इन लोगों ने नियोजित तरीक़े से हिंसा करने के लिए लोगों को उकसाया।

बैन का प्रस्‍ताव गृह विभाग को

डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा था। डीजीपी मुख्यालय ने अपनी सिफारिश में पीएफआई के बारे में लिखा है कि इसके ज्यादातर सदस्य इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े रहे हैं। संगठन के लोगों के पास से पूरे राज्य में आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री बरामद की गई है। यूपी की हिंसा में पकड़े गए कई लोगों के संबंध पीएफआई से निकले हैं।

पीएफआई पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप

पीएफआई खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताता है। इस संगठन पर कई गैर-कानून गतिविधियों में पहले भी शामिल रहने का आरोप है। गृह मंत्रालय ने 2017 में कहा था कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं, साथ ही इस पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप है। पीएफआई ने खुद पर लगे इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, लेकिन अकसर इस संगठन को लेकर विवाद होता रहा है।

मोहसिन रजा का दावा- पीएफआई के पीछे आईएसआई

यूपी सरकार के तमाम मंत्री आरोप लगाते हैं कि पीएफआई के अधिकतर सदस्‍य प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्‍य रह चुके हैं। इसी बीच राज्‍य के मंत्री मोहसिन रजा ने बयान दिया, ‘जो लोग सिमी से जुड़े थे, उस पर प्रतिबंध के बाद एक नया संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बना। वे युवाओं को कट्टरपंथी बनाना चाहते हैं और उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलना चाहते हैं।’

मोहसिन रजा ने पीएफआई के पीछे आईएसआई का हाथ होने का भी दावा किया है। इससे पहले यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था, ‘पीएफआई का हाथ हिंसा की तमाम घटनाओं में सामने आया है और इस संगठन में सिमी के लोग ही शामिल हैं। ऐसे में अगर सिमी भी रूप में उभरने का प्रयास करेगा तो उसे कुचल दिया जाएगा।’