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हरियाणा के मिर्चपुर में दलितों पर हमला, 40 परिवारों ने छोड़ा घर

मिर्चपुर में 6 साल बाद फिर भड़की आग। दलित और जाट आपस में भिड़ गए और उसके बाद आज 40 परिवार पलायन कर गए। पुलिस व प्रशासन ने गांव से पलायन कर रहे लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन नहीं रूके। 40 दलित परिवारों के 120 लोग गांव से पलायन कर गए।clash-in-dalit-and-jat-people-at-mirchpur-of-hisar_1485857549
 
बताया जा रहा है कि हिसार के पास तलवंडी राणा जा रहे हैं। पलायन करने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। ग्रामीणों ने कहा कि या तो उनका गांव से पुनर्वास करवाया जाए या फिर से सीआरपीएफ गांव में तैनात की जाए, इसके बिना वे यहां सुरक्षित नहीं रह सकते।

हुआ यूं कि हरियाणा में हिसार जिले के नारनौंद में मिचपुर गांव में सोमवार रात फब्तियां कसने से शुरू हुआ विवाद सोमवार देर रात तक दोनों पक्षों के टकराव में बदल गया। इस झड़प में दलित पक्ष के 9 युवक घायल हो गए।

मामले की सूचना मिलने पर प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए और गांव को फिर छावनी में तबदील कर दिया गया। देर रात मौके पर आला अधिकारी पहुंचे और स्थिति को जैसे-तैसे नियंत्रण में किया।

मिली जानकारी के अनुसार, मिर्चपुर में दिन में साइकिल पर करतब दिखाने वाला एक कलाकार कार्यक्रम पेश कर रहा था। वहां तीन-चार समुदाय के युवकों और दलित पक्ष के युवकों में नोंकझोंक हो गई। आरोप है कि गांव के एक समुदाय के युवकों ने दलित समुदायों के युवकों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया, जिसमें सोमनाथ, रोहित, हरप्रीत, गुरमीत, शिवकुमार और राहुल घायल हो गए।

आरोप है कि उन्होंने शराब पी हुई थी। विवाद बढ़ता देखकर शिवकुमार ने अपने भाई सोमनाथ को बुला लिया। इसके बाद वहां काफी लोग एकत्रित हो गए। इस पर दोनों पक्षों के युवकों के बीच झगड़ा हो गया। इसी झगड़े में लाठियों और ईंटों से हमला हुआ। आरोप है कि घटना के समय बीच-बचाव करने आए चौकी प्रभारी के साथ भी धक्कामुक्की की गई।

पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार मीणा ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल गांव में तैनात कर दिया है। आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उनका कहना है कि बच्चों का झगड़ा है, लेकिन गांव में पहले भी जातीय दंगों का इतिहास रहा है, इसलिए मामला संवेदनशील है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। 4 को गिरफ्तार कर लिया है।

हिसार के मिर्चपुर में दलितों और जाटों के बीच टकराव

जातीय टकराव के चलते गांव में रात भर तनावपूर्ण माहौल बना रहा। एहतियात के तौर पर पुलिस ने गांव में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया। वहीं, इस टकराव ने एक बार फिर मिर्चपुर कांड की याद ताजा कर दी। मिर्चपुर में 21 अप्रैल, 2010 को कुत्ते को लेकर विवाद में एक समुदाय के लोगों ने वाल्मीकि बस्ती के घरों में आग लगा दी थी, जिसमें वृद्ध ताराचंद, उसकी अपाहिज पुत्री सुमन की मौत हो गई। 

करीब 25 घर जल गए और 52 लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद गांव में सीआरपीएफ तैनात कर दी गई, लेकिन असुरक्षा की भावना के कारण जनवरी, 2011 को 130 से ज्यादा दलित परिवारों ने गांव छोड़ दिया। यह कांड देशभर में गूंजा था और प्रदेश की बदनामी हुई थी। घटना के रोष स्वरूप 100 से ज्यादा दलित परिवारों ने गांव से पलायन कर दिया था। अब ये परिवार यहां कैमरी रोड पर तंवर फार्म हाउस में शरण लिए हुए हैं।

14 जनवरी, 2011 को यह मामला हिसार से दिल्ली की रोहिणी अदालत में स्थानांतरित हुआ और 31 अक्टूबर, 2011 को अदालत ने तीन को उम्रकैद, पांच को पांच-पांच साल कैद सात को दो-दो साल कैद की सजा सुनाते हुए उन्हें प्रोबेशन पर रिहा कर दिया था। हाल ही में आठ दिसंबर, 2016 को गांव मिर्चपुर से सीआरपीएफ को हटा लिया गया था।

प्रशासन की तरफ से मिर्चपुर के दलितों को सुरक्षा का पूरा भरोसा दिया गया था। मिर्चपुर कांड के बाद गांव में पुलिस चौकी स्थापित की गई थी। सीआरपीएफ के करीब 75 जवान जाने के बाद चौकी स्टाफ पर सुरक्षा की जिम्मेवारी थी। तब मिर्चपुर के दलितों के वकील रजत कल्सन ने सीआरपीएफ के हटाने पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा था कि दलितों पर हमला हो सकता है। सोमवार रात को यह बात सच हो गई।

घायलों ने पुलिस को बताया कि गांव के स्कूल में सुमित नंबरदार ने खेलकूद प्रतियोगिता कराई थी। दलित समुदाय के शिवकुमार ने 1600 मीटर दौड़ जीती। इसके बाद उपरोक्त युवक स्कूल से घर रहे थे तो रास्ते में गांव में बस स्टैंड के समीप स्थित दलित बस्ती में चल रहे एक साइकिल के शो को देखने रुक गए। वहां पर पहले से खड़े दूसरे पक्ष ने शिव कुमार पर तानाकशी शुरू कर दी।

 

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