नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्धारित तिथि पर शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र पेश नहीं करने के कारण सिविल सेवा की उम्मीदवारी रद्द करने के खिलाफ दायर एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई टाल दी।
पिछली सुनवाई के दौरान यूपीएससी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कुछ व्यक्तियों के लिए विभिन्न आधारों पर पात्रता की शर्तों में ढील नहीं दी जा सकती है क्योंकि ऐसा करना धारा 14 और 16 का उल्लंघन होगा। याचिका में कहा गया है कि शैक्षिक प्रमाण पत्रों के उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उम्मीदवारी रद्द करना मनमाना और उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन है।
कोरोना की वजह से याचिकाकर्ता के बीटेक की अंतिम परीक्षा में देरी हुई। परीक्षा सितंबर 2020 में आयोजित की गई थी, जबकि परिणाम दिसंबर 2020 में घोषित किए गए थे। याचिका में कहा गया है कि दस्तावेजों की मूल प्रति तभी जरूरी है, जब उम्मीदवार को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। ऐसे में यूपीएससी का यह फैसला मनमाना और गैरकानूनी है।