Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

सीमा पर शहीद हो रहे हमारे जवान, सेना को फ्री हैंड दे सरकारः मुलायम सिंह

चाहे पाकिस्तान हो या चीन, दोनों सीमाओं पर तनाव और हमले बढ़े हैं. पहले पाकिस्तान की ओर से ही सीमा पर तनाव बनाया जाता था, लेकिन अब चीनी सीमा पर भी काफी तनाव रहता है. ऐसे में हमारे सैनिकों की जान हमेशा सांसत में फंसी रहती है, जिस पर आज मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में सवाल भी उठाया.

पूर्व रक्षा मंत्री और सांसद मुलायम सिंह यादव ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान और चीन की ओर से बढ़ते तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि हमारे जवान काफी बहादुर और साहसी हैं, लेकिन अपनी जिंदगी कुर्बान कर रहे हैं. हमें चाहते हैं कि सरकार असमंजस की स्थिति से बाहर निकले और सेना को सही निर्देश दे.

मुलायम सिंह ने शून्यकाल में सीमा पर तैनात जवानों से जुड़ा मामला उठाया. वह नववर्ष पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने इसे छद्म युद्ध करार दिया जो चीन और पाकिस्तान की ओर से किया जा रहा है.

सीमा पर शहीद हो रहे सैनिकों की लगातार बढ़ती संख्या को लेकर आम जनता में खासी नाराजगी है, लेकिन केंद्र सरकार इस पर रोक के लिए कुछ करती नहीं दिख रही है. सपा नेता और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह ने बुधवार को इस मसले पर अपनी बात रखी.

उन्होंने कहा, “सरकार ने सेना को कोई साफ आदेश नहीं दिया है, न ही उन्हें फ्री हैंड दिया गया है. हमारे जवान लगातार शहीद हो रहे हैं. दुनिया में हमारा अपमान हो रहा है.”

मुलायम सिंह के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शून्यकाल में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में भड़की जातीय हिंसा पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि दलित देशभर में हर जगह निशाने पर हैं. उन्होंने इसके लिए महराष्ट्र की इस घटना और रोहित बेमुला का जिक्र किया. दलित आत्मसम्मान के साथ जीना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोगों को यह बर्दाश्त नहीं है. भीमा-कोरेगांव की घटना यही बताती है.

उन्होंने आगे कहा कि हर साल दलित समुदाय भीमा-कोरेगांव में दलित और मराठा के बीच हुई लड़ाई की बरसी पर कार्यक्रम मनाता है. लेकिन इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई. आखिर इस हिंसा के लिए जिम्मेदार कौन है?

खड़गे ने कहा कि ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर उस युद्ध में अंग्रेजों की ओर से लड़ने वाले दलित चूंकि सेना का हिस्सा नहीं थे, इसलिए उन्हें हथियार के साथ लड़ने की इजाजत नहीं मिली. इस लिहाज से उनकी यह जीत काफी मायने रखती है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस दंगे के लिए आरएसएस से जुड़े संगठन जिम्मेदार है. उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज से कराया जाए.

साथ ही यह मांग भी रखी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मसले पर अपनी चुप्पी तोड़े और बयान दें. वह चुप हैं जबकि अगड़ी जाति के लोग दलितों के साथ अत्याचार कर रहे हैं.