भोपाल : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अब तक की सियासत में कभी भी ‘बैर’ का कोई स्थान नहीं रहा है, मगर अब उनका अंदाज बदल रहा है और वे बैर लेने को भी तैयार नजर आने लगे हैं। यही कारण है कि वे विरोधियों पर आक्रामक होने के साथ आरटीआई एक्टिविस्ट, व्हिसिलब्लोअर व मीडिया पर भी हमला बोलने लगे हैं। राज्य में सत्ता की कमान संभाले चौहान को 11 वर्ष से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, इस दौरान उन पर और परिवार से जुड़े लोगों पर डंपर कांड, व्यापमं घोटाला, गेमन प्रकरण, रोहित गृह निर्माण समिति में जमीन आवंटन में गड़बड़ी सहित नर्मदा नदी से रेत खनन से लेकर कई अन्य आरोप लगे। इन आरोपों का चौहान ने अपने तरह से जवाब दिया। कोई न्यायालय गया तो चौहान की ओर से पक्ष रखा गया। बीते कुछ अरसे की चौहान की कार्यशैली पर नजर दौड़ाएं तो एक बात साफ हो जाती है कि वे अब आरोपों का आक्रामक तौर पर जवाब देने के हिमायती लगने लगे हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने व्यापमं घोटाले का आरोप लगाया तो सरकार मामले को लेकर न्यायालय गई और मिश्रा के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर कर दी। मामला न्यायालय में चल रहा है।
एक तरफ चौहान राजनीतिक मोर्चे पर लड़ने में पीछे नहीं हैं, तो अब उन्होंने सूचना के अधिकार कार्यकर्ता, व्हिसिलब्लोअर और मीडिया पर भी हमला बोला है। शुक्रवार को आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन की तीन दिवसीय सर्विस मीट में कुछ आरटीआई एक्टिविस्ट, व्हिसिलब्लोअर को ‘गंदा आदमी’ तक बताने में हिचक नहीं दिखाई। साथ ही इन पर गिरोह बनाकर काम करने की बात तक कह डाली। चौहान के इस बयान पर आरटीआई कार्यकर्ता एश्वर्य पांडे का कहना है, “हर क्षेत्र में कुछ लोग तो गंदे होते ही हैं, क्या राजनीति में ऐसे लोग नहीं है? मुख्यमंत्री को गंदे लोगों में भ्रष्ट राजनेता और प्रशासनिक अधिकारियों को भी गिनना चाहिए था। ऐसा करते तो लगता कि वे वाकई में सच बोल रहे हैं, मगर उन्होंने इस बयान के जरिए सिर्फ अपनी पीड़ा जाहिर की है।”