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सिमी आतंकियों ने जेल की रोटियां जलाकर टूथब्रश से बनाई चाबी

भोपाल सेंट्रल जेल से सोमवार रात सिमी आतंकियों ने फरार होने के लिए उन्हीं रोटियों को जरिया बनाया, जो उन्हें खाने के लिए दी जाती थी। वे भोजन से अतिरिक्त रोटी मांगते थे, लेकिन उसे खाने के बजाय सूखाकर रख लेते थे।

40 दिनों तक उन्होंने रोटियां इकठ्ठा कीं और उसे जलाकर प्लास्टिक की टूथब्रश को आंच में ऐसा बनाया जिससे ताला खोला जा सके। अब तक हुई जांच में ये भी सामने आया है कि सिमी आतंकियों के बैरक की चैकिंग करीब चार महीनों से हुई ही नहीं थी। जिसके चलते आतंकी न सिर्फ खाने की प्लेट से चाकू, बल्कि चाबियां बनाने में भी सफल रहे।

रोटियों को जलाकर टूथब्रश से बनी चाबी

जांच में जुटे अधिकारियों के अनुसार टूथब्रश से चाबी बनाने के काम को आंतिकायों ने रात में ही अंजाम दिया। निरंकुश हो चुके आतंकी इसके लिए इतना हंगामा करते थे कि रात तो दूर, दिन में भी इनके बैरक के तरफ कोई जेल कर्मी या अधिकारी नहीं जाता था। रात में आतंकी इन रोटियों को जलाकर टूथब्रश को इतना ही गर्म करते थे, जिससे वे पिघले नहीं, बल्कि मेल्ट हो जाएं।

इसके बाद नरम हो चुके टूथब्रश को वे ताले के अंदर डालकर दांतों की छाप लेते थे। ब्रश पर ताले के शुरुआती हिस्से के हल्के पड़े छाप को वे चाबी की तरह बारिक बनाते थे, फिर इसी प्रक्रिया को दोहराकर ताले के अंदरूनी हिस्से तक पूरी चाबी की छाप ली और प्लास्टिक की डुप्लीकेट चाबी बनाने में सफल रहे।

फरार होने के तरीके सिखाते हैं

सिमी आतंकियों को ट्रेनिंग में उन्हें जेल से फरार होने के तरीके खासतौर से सिखाए जाते हैं। उन्हें ताले तोड़ने के नहीं, बल्कि ताले खोलने की तरकीब सिखाई जाती है। जानकारी के अनुसार खंडवा जेल से फरार होने के दौरान आतंकियों ने इसकी खास ट्रेनिंग भी ले रखी थी। यही वजह है कि मामले में सस्पेंड हो चुके एडीजी सुशोभन बनर्जी ने भी समय-समय पर बैरक के ताले बदलने के निर्देश दिए थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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