इसके अनुसार, दिल्ली सहित पटना, श्रीनगर, कोहिमा, पुडुचेरी, गुवाहाटी, गंगटोक, शिमला, देहरादून, इंफाल, और चंडीगढ़ भूकंपीय जोन चार और पांच के अंतर्गत आते हैं। इन शहरों में कुल तीन करोड़ से अधिक आबादी रहती है।
दरअसल, भूकंप को दर्ज करने और शहरों के माइक्रोजोनेशन से संबंधित अध्ययन करने वाला एनसीएस भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के तहत आता है।
भूकंपीय माइक्रोजोनेशन एक क्षेत्र को छोटे क्षेत्रों में विभाजित करने की प्रक्रिया है जो खतरनाक भूकंप प्रभावों के लिए अलग-अलग संभावित होते हैं।
जोन पांच में पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र आता है जिसमें जम्मू और कश्मीर के हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात के कच्छ का रण, उत्तर बिहार के कुछ हिस्से और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह शामिल हैं।
जबकि दिल्ली के साथ जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, सिक्किम, उत्तरी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से जोन चार के तहत आते हैं। भुज, चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना और रुड़की जोन चार और पांच के तहत आते हैं। बता दें कि गुजरात के भुज में 2001 में बड़े पैमाने पर भूकंप आया था जिसमें लगभग 20 हजार लोग मारे गए थे।