Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

शाह की परीक्षा, 7 स्तरों पर टिकट दावेदारों की छंटनी

यूपी और उत्तराखंड में भाजपा का टिकट लेना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है। दावेदारों का दम परखने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कई स्तर पर उनकी छंटनी करवाई है। इससे हवा-हवाई नेताओं के लिए गुंजाइश खत्म सी हो गई है। शाह तक दावेदारों के नाम पहुंचने से पहले उन्हें 7 दहलीजें पार करनी पड़ी हैं। शाह की इस गहन कवायद का मकसद यूपी और उत्तराखंड में पार्टी का अपने आप को सत्ता के करीब मानना है।bjp_1483796001
 दावेदारों की छंटनी में शाह ने भाजपा संगठन से लेकर संघ और सर्वे तक का सहारा लिया है। भाजपा संगठन के एक प्रमुख नेता के अनुसार दावेदारों को परखने के लिए पार्टी ने 7 तरीके अपनाए हैं। अधिकतर तरीकों में जो दावेदार अव्वल रहेंगे उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा।

उक्त नेता के अनुसार पार्टी की कार्यपद्धति बदली है। खासतौर से यूपी में इस बात पर जोर दिया गया है कि हवा-हवाई राजनीति करने वाले नेताओं को तरजीह न मिले। बल्कि संगठन में कार्य करने वालों को ही पद से लेकर उम्मीदवारी तक में स्थान मिले। शाह इस मामले में अडिग हैं और उन पर किसी नेता का दबाव काम नहीं आएगा।

सूत्र बताते हैं कि दावेदारों की छंटनी के काम में टीम शाह बीते 3 माह से सक्रिय है। संघ और भाजपा संगठन से नाम मंगवाने के अलावा अलग-अलग स्तर पर 5 सर्वे कराए गए हैं। सबसे पहले शाह ने प्रदेश प्रभारी और राज्य संगठन महामंत्री के जरिए प्रदेश भाजपा के मंडल, जिला और प्रदेश से उपयुक्त दावेदारों की विधानसभावार सूची मंगाई।

 इसके बाद संघ से भी जिला, प्रांत और क्षेत्रवार लिस्ट मंगाई गई। दोनों स्तरों से नाम आने के बाद शाह ने भाजपा के सभी जिलाध्यक्षों से सीट के हिसाब से उम्मीदवारों के नाम अलग से मंगाए। उसके बाद क्षेत्रीय अध्यक्षों और संगठन महामंत्रियों से भी उन्होंने अलग से योग्य उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी।

इसके बाद शाह के निर्देश पर प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल की देखरेख में यूपी में त्रिस्तरीय सर्वे कराया गया। ऐसा ही उत्तराखंड के मामले में देखने को मिला है। पहले सर्वे के पैनल में सीटवार चुनिंदा उम्मीदवारों के नाम भेजकर सीधे जनता की राय ली गई। इसमें अव्वल आए 3 उम्मीदवारों के नाम का पैनल बनाकर दूसरे सर्वे के जरिए उन पर कार्यकर्ताओं की राय ली गई।

तीसरे सर्वे में उन उम्मीदवारों के बारे में संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की राय ली गई। इसके अलावा यूपी और उत्तराखंड की संघ इकाई ने भी अपने स्तर पर कुछ कार्यकर्ताओं को सीटवार भेजकर उम्मीदवारों की लोकप्रियता का सर्वे कराया है, जिसकी रिपोर्ट भी शाह को भेजी गई है।

इन तमाम कवायदों के बावजूद भाजपा अध्यक्ष ने गुजरात की एक अति विश्वसनीय सर्वे कंपनी से अलग से उम्मीदवारों के नाम, सीट की सामाजिक रचना और स्थानीय मुद्दे का अध्ययन वाला सर्वे करवाया है। जिसे लेकर वह नेताओं के साथ होने वाली बैठक में बैठ रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इन तमाम दहलीजों को पार करने के बाद जो नाम अव्वल बनकर उभरे हैं, शाह ने उन नामों को जिला और क्षेत्रीय संगठन के सामने चर्चा के लिए रखा है। इस पर संघ के प्रांत और क्षेत्रीय प्रचारकों की राय भी ली गई है।

कुछ नामों पर राय जुदा होने की वजह से शाह ने तीन-चार दिन पहले यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्षों को तलब कर उनसे मंत्रणा भी की है। साथ ही उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा पाल रहे वर्तमान जिलाध्यक्षों को स्पष्ट कर दिया है कि वे पहले जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दें उसके बाद उम्मीदवार की लाइन में आएं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.