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वाणिज्यकर विभाग का कैडर पुनर्गठन न होने से हर साल 54 करोड़ रुपये का नुकसान

-जल्द से जल्द कैण्डर रिव्यू की मांग उठी

लखनऊ। वाणिज्यकर विभाग में लम्बे अरसे से लम्बित कैण्डर रिव्यू मामले के कारण राज्य कर विभाग को प्रतिवर्ष 54 करोड़ की हानि हो रही है। जबकि देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू हुए चार वर्ष का समय बीत रहा है। इस सम्बंध में विभाग के अधिकारी कर्मचारी संगठन लम्बे अरसे से मांग भी कर रहे है, देर किये जाने से प्रति दिन राज्य कर विभाग को लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है।

अधिकारी-कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त बयान जारी कर बताया कि आईआईएम की रिपोर्ट के अनुसार वाणिज्यप कर विभाग में कैडर पुनर्गठन नहीं होने से वाणिज्यग कर विभाग में सालाना 54 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। जिसका उपयोग राज्य में चल रहे अन्यं विकास कार्यों में सरकार कर सकती है।

वाणिज्य कर सेवा संघ के अध्यक्ष राज वर्द्धन सिंह, वाणिज्य कर अधिकारी संघ के अध्यक्ष कपिलदेव तिवारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री सुरेश सिंह यादव द्वारा संयुक्त रूप से कहा कि राज्य सरकार द्वारा आईआईएम जैसी प्रतिष्ठित प्रबन्धशन संस्था न से वाणिज्य कर विभाग में होने वाले कैडर पुनर्गठन के लिए अध्ययन कराया जिसमें सरकार द्वारा 59 लाख रुपये खर्च किये गए। यदि वाणिज्य कर विभाग में आईआईएम की रिपोर्ट लागू हो जाती है तो 4.5 करोड़ रूपये प्रतिमाह के हिसाब से सालाना 54 करोड़ रुपये खर्च मे कटौती होगी। यह राज्य सरकार के अन्य विभागों के लिए भी यह मितव्यहयता के साथ प्रबन्धन के सिद्वान्तों पर आधारित विभागीय संरचना परिवर्तन का उत्कृोष्टभ उदाहरण साबित होगा।

आईआईएम द्वारा दे वर्ष पूर्व अपनी रिपोर्ट सरकार को प्राप्तग करा दी गई थी तथा उसी समय यह रिपोर्ट लागू हो गई होती तो अभी तक लगभग 100 करोड़ रूपये का अतिरिक्त व्यय नहीं होता। अत: सभी संघों द्वारा सामूहिक मांग की गई है कि जल्द से जल्द वाणिज्य कर विभाग में आईआईएम की रिपोर्ट के हिसाब से कैडर पुनर्गठन किया जाय, जिससे जीएसटी अधिनियम के अनुरूप विभाग कार्य कर सके और साथ ही सरकार का वित्तीठय भार कम हो सके।  

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