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रिश्तों के ‘चक्रव्यूह’ में समाजवादी पार्टी

नई दिल्‍ली। रिश्‍तों के चक्रव्‍यूह में उलझी समाजवादी पार्टी अपनों की तू-तू, मैं-मैं के चलते ही रुसवा हो रही है। घर-परिवार में हुई रिश्‍तों की लड़ाई पार्टी कार्यालय से होती हुई अब मंच पर पहुंच गई है। पूर्ण बहुमत से यूपी में सत्‍ता हासिल करने वाली सपा खेमों में बंट गई है।

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पार्टी के विधायक और पदाधिकारी तो दूर यादव परिवार के सदस्‍यों के रिश्‍तों की डोरी का छोर किसके साथ बंधा है इसका अनुमान लगाना मुश्‍किल हो गया है। रिश्‍तों की लड़ाई के हालात ये हो गए हैं कि जो पर्दे पर दिख रहा है वो मुख्‍य किरदार नहीं है और जो दिखाई नहीं दे रहा है उसके हाथों में सत्‍ता की डोर है। आईबीएन खबर की पड़ताल सैफई  परिवार के कुछ ऐसे ही किरदारों पर रौशनी डालती है

 इसमें से कुछ किरदार तो ऐसे हैं जो अभी तक पर्दे पर भी नहीं आए हैं और न ही उनका नाम इस पूरे प्रकरण में सामने आ रहा है। जिस लड़ाई को चाचा-भतीजे की बताया जा रहा है, असल में वो रिश्‍तों के बीच पनपी महत्‍वाकांक्षाओं और पावर की लड़ाई है।
रिश्‍तों के मुखिया मुलायम सिंह यादव

सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मुलायम सिंह यादव इस राजनीतिक परिवार के मुखिया हैं। अभी तक मुलायम सपा में अपने सगे भाई, भाइयों के बेटे, अपने बेटे अखिलेश यादव के साथ-साथ चचेरे भाई प्रो. रामगोपाल यादव को साथ-साथ लेकर चल रहे थे। इतना ही नहीं दूसरी पत्‍नी साधना यादव, उसके बेटे प्रतीक यादव और पुत्रवधू अर्पणा यादव को भी उनका हक देते हुए सैफई परिवार को रिश्‍तों की एक डोर में बांधे हुए थे। लेकिन पार्टी में उपजे अंतर्कलहके बाद मुलायम रामगोपाल को बाहर का रास्‍ता दिखा चुके हैं। लाख गलतियों के बाद भी बेटे अखिलेश यादव को क्षमादान दिया हुआ है। भाई शिवपाल यादव को ओहदे से नवाजने के बाद से उसकी तरफ से खामोशी ओढ़े हुए हैं।

धीरे-धीरे से साधना यादव ने सैफई परिवार में की एंट्री

मुलायम सिंह यादव से शादी के बाद साधना यादव को जहां मुलायम का नाम मिला तो वहीं उनके पहले पति को सरकारी नौकरी में मुख्‍यमंत्री कोटे से प्रमोशन भी मिला। चर्चा तो यह भी है कि बेटे प्रतीक यादव को मुलायम ने चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन किन्‍हीं कारणों के चलते उस पर अमल नहीं हो पाया। लेकिन साधना यादव अपने बेटे की पत्‍नी अर्पणा यादव को लखनऊ कैन्‍ट से विधानसभा का टिकट दिलाने में कामयाब हो गई हैं। भले ही खुद कभी राजनीति में आने की इच्‍छा जाहिर न की हो, लेकिन अपने चहेते लोगों को मंत्री बनवाने में पीछे नहीं हैं। प्रशासनिक अधिकारियों को खास महत्‍व वाली कुर्सी दिलाने में भी साधना यादव की भूमिका की चर्चा है। चर्चा तो यह भी है कि अमर सिंह को सपा में दोबारा लाने की भूमिका बनाने में भी इनका खास रोल है।

मुलायम सिंह के दम पर ही आगे बढ़े हैं शिवपाल यादव

मुलायम सिंह यादव के भाई और पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष शिवपाल यादव ने जिला सहकारी बैंक के अध्‍यक्ष के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। बाद में मुलायम सिंह ने जसवंत नगर से अपनी विधानसभा सीट उन्‍हें दे दी। एक बार फिर सबको दिखाते हुए मुलायम ने उन्‍हें सपा का प्रदेश अध्‍यक्ष भी बना दिया। अभी तक शिवपाल का राजनीतिक जीवन मुलायम के रहमो-करम पर ही आगे बढ़ा है। लेकिन चर्चा यह भी है कि शिवपाल को सिर्फ बड़े भाई का ही नहीं भाभी साधना यादव से भी आशीर्वाद प्राप्‍त है। जिसकी बदौलत वह दीपक सिंघल जैसे अधिकारियों को मलाईदार पद दिलवाते रहे हैं। लेकिन भतीजे अखिलेश यादव से उनकी पटती नहीं है। यही वजह है कि चर्चाओं के अनुसार वर्ष 2012 में जब अखिलेश यादव को यूपी का सीएम बनाए जाने की तैयारी चल रही थी तो शिवपाल इस प्रस्‍ताव से सहमत नहीं थे।

रिश्‍तों के निशाने पर रहे हैं अखिलेश यादव

कन्‍नौज से सांसद रहने के बाद 2012 में अखिलेश यादव यूपी के सीएम बने। लेकिन राजनीतिक जीवन में आने के बाद से ही अखिलेश सैफई परिवार के कुछ अंदरूनी और बाहरी रिश्‍तों के निशाने पर हैं। सौतेली मां साधना यादव और भाई प्रतीक यादव से उनके संबंधों की असलियत भी सब जानते हैं। यह बात सपा के मौजूदा अंतकर्लह से भी साबित हो रही है। ऐसे ही रिश्‍तों के चलते अमर सिंह अखिलेश के निशाने पर रहते हैं। लेकिन उनके दूसरे चाचा रामगोपाल यादव उन्‍हें पसंद करते हैं। कहा जाता है कि 2012 में अखिलेश को सीएम बनाए जाने के लिए परिवार में रखे गए प्रस्‍ताव को भारी बहुमत दिलाने में भी रामगोपाल का पूरा सहयोग था। एक दिन पहले भी वह कह चुके हैं कि सपा में रहूं या न रहूं लेकिन अखिलेश को हमेशा समर्थन रहेगा। पिता मुलायम से आजकल अखिलेश के कैसे रिश्‍ते हैं इस पर अभी भी संशय बना हुआ है। लेकिन अंदरखाने चर्चा तो यह है कि आज भी अखिलेश की छवि बनाने के पीछे मुलायम सिंह का ही दिमाग काम कर रहा है।

राजनीति का ककहरा सीख रहे हैं लीड्स यूनिवर्सिटी में पढ़े प्रतीक यादव

दिखाने को तो मुलायम की दूसरी पत्‍नी साधना के बेटे प्रतीक यादव लखनऊ में जिम चला रहे हैं और नोएडा में जमीन की खरीद-फरोख्‍त से जुड़ा कारोबार कर रहे हैं। लेकिन सही मायने में वो मां साधना यादव की सिफारिश पर खनन मंत्री बने गायत्री प्रजापति संग कारोबार करने के साथ-साथ राजनीति का ककहरा भी सीख रहे हैं। पिता से नजदीकियों के चलते अमर सिंह भी उनके राजनीतिक गुरु बने हुए हैं। चाचा शिवपाल से भी आशीर्वाद मिल रहा है। चर्चा तो यह भी है कि बेशक वो राजनीति के पटल पर नहीं दिखते हैं, राजनीति में आने के लिए इनकार करते हैं, लेकिन राजनीति के बड़े ओहदे पर उन्‍हें काबिज कराने के लिए ताना-बाना बुना जा रहा है।

शादी के बाद राजनीति और पावर की महत्‍वाकांक्षा

ठाकुर परिवार से ताल्‍लुक रखने वाली अपर्णा प्रतीक यादव संग शादी के बाद अपर्णा यादव बन गईं। सास साधना यादव और पति प्रतीक के चलते अर्पणा यादव को सैफई परिवार के कुछ लोगों की खास नजदीकियां मिल गईं। जिसके बाद सरकारी विभाग में तैनात उनकी मां को भी प्रमोशन देकर अच्‍छा ओहदा दिया गया। चर्चा है कि अब एक बार फिर उन्‍हें किसी और बड़े ओहदे से नवाजा जा सकता है। अपर्णा यादव खुद भी लखनऊ कैन्‍ट से 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट हासिल कर चुकी हैं। सपा के जलसों में शिरकत करने के चलते अपर्णा पार्टी में भी अपनी एक पहचान बना चुकी हैं।

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