निदेशक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही सीएम योगी ने विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को पीईटीएन बताया था और जांच एनआईए को सौंप दी थी।
महेंद्र मोदी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निदेशक को फॉरेंसिक जांच के बगैर इस तरह की जानकारी नहीं देनी चाहिए थी।
डीजी टेक्निकल महेंद्र मोदी ने एसएफएल के निदेशक को भ्रामक जानकारी फैलाने का भी दोषी पाया है। उन्होंने निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भी की है।
गौरतलब है कि आगरा की लैब में हुई जांच में संदिग्ध पदार्थ के पीईटीएन साबित न होने से विवाद पैदा हो गया था।
एफएसएल लखनऊ के निदेशक श्याम बिहारी उपाध्याय ने शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप पहले ही लग चुका था और उनके निलंबन की तैयारी चल रही थी।