Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

यहां की फिजा में भी दिखती है अटल जी की छाप

उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर 6 ए कृष्णा मेनन मार्ग। वातावरण में गंभीरता। गेट के पास लगी नेम प्लेट और उस पर अटल जी का नाम। आवास में प्रवेश करने के लिए बढ़ा, तो एक सुरक्षाकर्मी ने रोका। कहा, किससे मिलना है। मैंने कहा-शिव कुमार जी से। जवाब मिला-आपको पास बनवाना पड़ेगा। बिना पूछे, यहां तक बता दिया कि पास कहां से बनेगा। रिसेप्शन में कर्मचारियों ने फिर वही सवाल दोहराया। बिना दूसरा सवाल पूछे पास बनाने की प्रक्रिया पूरी की।

गेट के बाहर से लेकर आवास के अंदर तक अटल जी की छाप दिखी। तहजीब, सम्मान, सहयोग…गंभीरता, पर सुरक्षा जांच से कोई समझौता नहीं।जरूरी प्रक्रिया पूरी कर जब शिव कुमार जी के कमरे में दाखिल हुआ तो पहला सवाल-बताइये, क्या काम है। मैंने कहा-अटल जी के बारे में बात करनी थी। 25 दिसंबर को जन्मदिन है उनका। पूछा-क्या जानना चाहते हैं…दीनदयाल जी की हत्या के बाद 1969 में सुप्रीम कोर्ट की वकालत छोड़कर पूरी तरह से अटलजी के साथ हूं। वह कैसी भी स्थिति में रहे हों, मैंने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा।

वह कहते हैं, अटलजी जब राजनीति में आए तो उस समय देश और दुनिया में कई कद्दावर नेता थे। जवाहरलाल नेहरू, राम मनोहर लोहिया, मार्शल टीटो। उन्होंने संघर्ष कर अपनी पहचान बनाई। उनका कभी कोई विरोधी नहीं रहा। हिंदी को वह वरीयता देते थे। नेहरूजी जब प्रधानमंत्री थे, तब लोकसभा में अटलजी की सीट पीछे थी, लेकिन वह अपनी बात जरूर रखते थे। रक्षा से जुड़े किसी मुद्दे पर अटल जी ने हिंदी में सवाल पूछा, तो नेहरू ने भी स्वेच्छा से हिंदी में ही जवाब दिया। भाजपा की मजबूत नींव अटल जी ने ही रखी।

1984 में इंदिरा जी की मौत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटें मिली थीं। पत्रकारों ने सवाल किया, तो अटल जी ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है। जो शीर्ष पर होता है, उसे नीचे आना पड़ता है। आने वाले समय में भाजपा ही आगे बढ़ेगी। हुआ भी ऐसा ही। इंदिरा जी के समय कांग्रेस 18 राज्यों में थी, तो आज भाजपा 19 राज्यों में है।

राजनीति की चादर रही उजली

अटल जी की राजनीति की चादर हमेशा उजली रही। शिव कुमार जी बताते हैं कि अटल जी ने जब प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब बिकने वाले भी बहुत थे और खरीदार भी। अटल जी जोड़-तोड़ में विश्वास नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।साहित्य और प्रकृति से लगावशिव कुमार जी कहते हैं कि साहित्य और प्रकृति से अटल जी का लगाव हमेशा रहा। अटलजी का कवित्व उनके बाबाजी की देन है। पिता जी भी अच्छे कवि थे। अटल जी को हर आदमी स्नेह करता है। उनमें राम का आदर्श, कृष्ण का सम्मोहन, बुद्ध का गांभीर्य और विवेकानंद का ओज है।

अटल जी न तो स्वस्थ हैं और न अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में हैं

शिव कुमार जी बताते हैं कि जब तक उनके हाथ में कलम टिकी, तब तक अपने हर जन्मदिन पर कविता जरूर लिखी। जिनकी जिह्वा पर सरस्वती विराजमान थीं, वह आज मौन हैं। अटल जी तो न स्वस्थ हैं और न ही अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में हैं। मैं भी 80 साल का हूं। इस उम्र तक आते-आते हाथ कांपने लगते हैं।