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बड़ीखबर: ….तो इस तरह आम आदमी के पैसे को VIP सुरक्षा पर ऐसे लूटा रही हैं सरकार

नई दिल्ली : भले ही मोदी सरकार वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करती है, लेकिन वाकई में हकीकत कुछ और ही है। हाल में आए आंकड़ों पर नजर डाले जो 20,000 वीआईपी की सुरक्षा के लिए औसतन 3 पुलिसकर्मी हैं। वहीं इससे ठीक उल्ट 663 आम लोगों पर सिर्फ 1 पुलिसकर्मी है।

ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (बीपीआरऐंडडी) ने गृह मंत्रालय की तरफ से यह डेटा तैयार किया है। इन आंकड़ों के अनुसार, इस वक्त देश में 19.26 लाख पुलिसकर्मी हैं। इनमें से 56,944 पुलिसकर्मी 20,828 लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं। भारत के 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में वीआईपी के लिए तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या औसतन 2.73 है। लक्षद्वीप देश का अकेला संघशासित प्रदेश है जहां किसी भी वीआईपी की सुरक्षा में पुलिसकर्मी तैनात नहीं हैं।

वीआईपी संस्कृति की जड़ें पूर्वी और उत्तर भारत में और ज्यादा गहरी हैं। बिहार का आम जनता के लिए पुलिसकर्मियों की नियुक्ति का अनुपात सबसे खराब है। बिहार में 3,200 वीआईपी की सुरक्षा के लिए 6,248 पुलिसकर्मी तैनात हैं। पश्चिम बंगाल भी इस लिहाज से पीछे नहीं है। बंगाल में 2,207 वीआई हैं और उनकी सुरक्षा के लिए 4,233 पुलिसकर्मी तैनात हैं।

आम जनता के लिए भारत आज भी विश्व का सबसे कम पुलिसकर्मियों वाला देश है। जान-माल के खतरे से अधिक अपने साथ एक पुलिसकर्मी को सुरक्षा के लिए रखना लोगों के बीच अब एक फैशन स्टेटमेंट की तरह है। केंद्र सरकार की तरफ से इस प्रवृति को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। लाल बत्ती प्रतिबंधित करना ऐसा ही एक कदम है। इसके बावजूद राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को पुलिस सुरक्षा देने के लिए अपने नियम बना लेती है।

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