Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

बाबरीः ढांचा ढहाए जाने के बाद बदल गई थी देश की फिजा, ये हुए थे 4 बड़े बदलाव

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने वाली घटना को आज 25 साल हो गए। इस घटना के बाद देश में सामाजिक और राजनीतिक फिजा में कई बड़े बदलाव हुए। इस दौरान केंद्र से लेकर राज्यों तक कई सरकारें बदलीं, नेतृत्व बदला और राजनीतिक परिदृश्य भी बदले, लेकिन अयोध्या को ना मंदिर मिला न मस्जिद, वो विवाद आज भी उसी तरह सुलग रहा है। हालांकि मामला अब राजनीतिक गलियारों से निकलकर सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है जिस पर इंसाफ की आखिरी उम्‍मीद टिकी है। आइए, डालते हैं बाबरी विध्वंस के बाद देश में हुए बड़े राजनीतिक और सामाजिक गलियारों पर एक निगाह।
बर्खास्त हुई थी भाजपा की चार सरकारें
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। जगह-जगह इसके विरोध में प्रदर्शन हुए और कई जगह दंगे शुरू हो गए। नतीजतन केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार बड़ा कदम उठाते हुए कानून व्यवस्‍था बिगड़ने के मुद्दे पर चार राज्यों की भाजपा सरकारों को बर्खास्त कर दिया।

जिसमें उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार, हिमाचल प्रदेश की शांता कुमार, राजस्‍थान की भैरों सिंह शेखावत और मध्यप्रदेश की सुंदर लाल पटवा की सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। देश में ऐसा पहली बार हुआ था कि केंद्र ने एक साथ चार सरकारों को बर्खास्त किया। हालांकि इसका भाजपा को रणनीतिक लाभ ही मिला और चारों राज्यों में उसके बाद भाजपा ने ज्यादा मजबूती से अपनी वापसी की।

बम धमाकों से दहली मुंबई

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद देश के कई हिस्से साम्प्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गए। घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप कई शहरों में हिंदू-मुस्लिमों के बीच दंगे भड़क उठे, जिसमें काफी लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस घटना की सबसे खतरनाक प्रतिक्रिया हुई मुंबई बम धमाकों के रूप में। बताया जाता है कि अयोध्या में बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम ने मुंबई हमलों की साजिश रची। जिसके बाद देश की आर्थिक राजधानी में 12 मार्च को एक साथ 12 से ज्यादा बम धमाके हुए जिसमें 257 लोगों की जान गई और 700 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसे आज तक भारत में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है। 

केंद्र की सत्ता में पहली बार आई भाजपा
अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर के मुद्दे को भाजपा ने पूरे जोर-शोर से हवा दी। चार राज्यों में सरकारों को बर्खास्त करने के मुद्दे को भी भाजपा ने प्रमुखता से उठाया। इसी बीच मंदिर के पक्ष में बने माहौल और हिंदुत्व की लहर का भाजपा ने पूरा फायदा उठाया। अयोध्या में राम मंदिर की लहर पर सवार होकर ही पहली बार भाजपा केंद्र में सत्ता तक पहुंची। 1996 में हुए आम चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार केंद्र में सरकार बनाई। हालांकि पूर्ण बहुमत साबित न कर पाने के कारण वह सरकार मात्र 13 दिन ही टिक पाई। हालांकि दो साल बाद फिर हुए लोकसभा चुनावों में एक बार फिर भाजपा की वापसी हुई और वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

देश में तेज हुई हिंदुत्व की राजनीति 
अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद एक बड़ा बदलाव राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी हुआ। इस घटना के बाद देश में हिंदुत्व की राजनीति तेज हुई, और राजनीतिक दलों के बीच भी खांचे खिंच गए। भाजपा ने जहां हिंदुत्व की राह पकड़ी, वहीं कई दल मुस्लिमों के पक्ष में आ खड़े हुए। राजनीति के जानकारों की मानें तो इस घटना के बाद ही देश में धर्म आधारित राजनीति को हवा मिली, जिसका राजनीतिक दलों ने जमकर फायदा उठाया।