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पाक बाज नहीं आया तो फिर होगी सर्जिकल स्ट्राइक: आर्मी चीफ

देश के नए जनरल विपिन रावत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान आतंकी हरकत जारी रखता है तो सेना दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई करने में नहीं हिचकेगी। जनरल रावत  ने जानकारी दी कि सीमा पार पाकिस्तान के हरकतों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
सेना प्रमुख  के मुताबिक पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में क्षद्म युद्ध यानि प्रॉक्सी वॉर जारी रख भारत की धर्म निरपेक्षता पर चोट कर रहा है। प्रॉक्सी वॉर पाक के साथ परंपरागत युद्ध के मुकाबले बड़ी चुनौती है।  bipin-rawat_1483205927

शुक्रवार को रावत ने कहा कि पाकिस्तान फिर से अपने इलाके में ट्रेनिंग कैंप स्थापित करने लगा है। वहां से उसकी घुसपैठ की कोशिश लगातार जारी है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद घाटी में हुए हमले के सवाल पर रावत ने कहा कि पाकिस्तान ऐसी हरकत करता रहेगा।

सर्जिकल स्ट्राइक केबाद पाकिस्तान ने डीजीएमओ की बातचीत में सीजफायर उल्लंघन खत्म करने की बात की। फिलहाल सीमा पर शांति  है। लेकिन एक हद केबाद पाकिस्तान वहीं हरकतें करता है तो उसे उसी की भाषा में जवाब देने केलिए सेना हर वक्त तैयार है।
 रावत ने जानकारी दी कि प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद और उग्रवाद से निबटने के लिए सेना को नए तरीके से तैयार किया जा रहा है। इसके तहत आम लोगों को प्रभावित किए बिना सैन्य कार्रवाई करना मुख्य उद्देश्य है। उड़ी और  पठानकोट जैसे हमले रोकने के लिए तकनीक के इस्तेमाल की व्यवस्था की जा रही है।

 रावत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान ने अपने प्रॉक्सी वॉर को गांवों और दूर दराज के इलाके से शहरी केंद्रों तक ले आया है। यह सेना केलिए नई चुनौती है। वह अब शहरों के युवकों को बहका रहा है। इसके लिए सरकार कई स्तर पर  काम  कर रही है।
जनरल विपिन रावत ने माना कि फारर्वार्ड पोस्ट पर तैनात जवानों में तनाव की बड़ी वजह उनके पास मोबाईल फोन की उपलब्धता है। मोबाईल फोन की वजह से घर परिवार में उपजी समस्या और कलह की खबर उसे रियल टाईम में मिलती रहती है। वह घर  की समस्या सुनता तो है लेकिन वहां से कुछ कर नहीं सकता। यह विवशता जवानों के लिए तनाव का बड़ा कारण बना जाता है। पहले एक या दो एसटीडी बूथ होते थे जहां से हफ्ते में एक आध पर उनकी बात हो पाती थी।

इसके अलावा चिट्ठी से विचारों का आदान प्रदान होता था। जबतक समस्या जवान तक पहुंचती थी तबतक ज्यादातर मामलों में उसका निबटारा हो चुका होता था। रावत के मुताबिक यह नई समस्या सेना नेतृत्व के लिए चुनौती है जिसपर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

 

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