पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ रक्षा और खुफिया सहयोग को रोक दिया है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता रोकने की जवाबी कार्रवाई के तहत बाद यह फैसला लिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नववर्ष के ट्वीट में पाकिस्तान की निंदा किए जाने के बाद अमेरिका ने करीब दो अरब डॉलर की सैन्य सहायता रोक दी थी।
पाकिस्तान के फैसले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को बातचीत के लिए आने और अपने यहां से संचालित आतंकी संगठनों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की इच्छा जताने को कहा है।
शिन्हुआ के मुताबिक, पाक रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर ने कहा, ‘हमने उन्हें (अमेरिका को) जो सुविधाएं दी थीं वे अब भी जारी हैं। उन्हें रोका नहीं गया है लेकिन खुफिया और रक्षा सहयोग को हमने रोक दिया है।’
उन्होंने शिकायत की कि अमेरिका ने आतंकियों की आवाजाही रोकने के लिए अफगानिस्तान के साथ सीमा पर बाड़ लगाने में हमारी मदद नहीं की। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा करीब 2,500 किलोमीटर लंबी है। पाक रक्षा मंत्री के बयान से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने का संकेत मिलता है।
उधर, वाशिंगटन में अमेरिका के विदेश सहायक मंत्री स्टीव गोल्डस्टीन ने कहा कि हम पाकिस्तान से भविष्य में सहयोग की आशा करते हैं। हम बिना भेदभाव सभी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में पाकिस्तान के साथ काम करने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तालिबान नेटवर्क, हक्कानी नेटवर्क और अपने यहां से संचालित सभी आतंकी संगठनों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई की इच्छा जताए तो हमारे द्विपक्षीय सुरक्षा संबंध मजबूत हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान से इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है।
गोल्डस्टीन ने कहा, ‘हम चाहेंगे कि पाकिस्तान बातचीत की मेज पर आए और इस प्रयास में हमारी सहायता करे।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को रोकी गई सैन्य सहायता खत्म नहीं हुई है और न ही उसमें बदलाव किया गया है।
पाक स्थित अमेरिकी राजदूत के साथ हुई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ शामिल होगा। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद से पाकिस्तान के लोगों ने काफी नुकसान उठाया है। इसलिए इस समस्या को हल करने में हमारे साथ शामिल होना उनके फायदे के लिए है।’