नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी जमात से कोरोना फैलने को लेकर 2020 में सोशल मीडिया पर चले ट्रेंड के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले आप नए आईटी नियम पढ़ कर बताइए कि उसमें इस तरह का प्रावधान है या नहीं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मसले को लेकर भूल चुके हैं। आप इसे फिर क्यों चर्चा में लाना चाहते हैं। तब कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपने 2021 में बने नए आईटी रुल्स को पढ़ा है। नए आईटी रुल्स में इसे लेकर प्रावधान किए गए हैं। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि नए आईटी रुल्स में धार्मिक आधार पर दुर्भावना फैलाने को लेकर अलग से लेकर कुछ नहीं कहा गया है। तब कोर्ट ने उन्हें सलाह दी कि वे नए आईटी रुल्स को पढ़कर आएं। हम एक हफ्ते के बाद आपकी दलीलों को सुनेंगे।
हैदराबाद के वकील खाजा एजाजुद्दीन ने दायर याचिका में कहा है कि धार्मिक आधार पर दुर्भावना फैलाने वाले हैशटैग पर रोक लगाई जाए। 2020 में निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के लोगों की मौजूदगी को लेकर नफरत भरे ट्वीट किए गए। ऐसा दर्शाने की कोशिश की गई कि मुसलमान एक साजिश के तहत कोरोना फैला रहे हैं लेकिन न तो ट्विटर ने और न ही सरकार ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह आईटी एक्ट में इस बाबत नियम जोड़े की मजहबी आधार पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट को हटाया जा सके।