Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

जुड़वां बच्चे : इन्हें दें खास देखभाल

प्रेग्नेंसी किसी भी स्त्री के जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आती है लेकिन यह अपने साथ कई जटिलताएं भी लाती हैं। अगर गर्भ में जुड़वां बच्चे हों तो स्थिति और भी मुश्किल होती है। ऐसे में जरूरी होता है कि गर्भावस्था के दौरान खानपान का ध्यान रखा जाए, नियमित जांच कराई जाए और डॉक्टर के सुझाव पूरी तरह माने जाएं, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ और खुश रहें।

twins_baby_19_07_2016जब हो टि्वन प्रेग्नेंसी

गर्भाशय का आकार सामान्य से बड़ा हो और एक से अधिक गर्भ की हार्टबीट्स सुनाई दे रही हों तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। इसी से पता लगता है कि यह टि्वन प्रेग्नेंसी है या नहीं। जैसे ही टि्वन प्रेग्नेंसी का पता चले, अपने और होने वाले बच्चे की बेहतरी के लिए कुछ जरूरी कदम उठाएं। टि्वन प्रेग्नेंसी की जटिलताएं सिंगल प्रेग्नेंसी से अलग होती है। इस दौरान कुछ खास परेशानियां हो सकती हैं-

  • टि्वन प्रेग्नेंसी में गैस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपर टेंशन और एनीमिया की आशंका बढ़ जाती है।
  • इस दौरान कमजोरी अधिक हो सकती है। प्रसव के बाद ब्लीडिंग का खतरा भी ज्यादा रहता है।
  • टि्वन प्रेग्नेंसी के अधिकतर मामलों में डिलिवरी के लिए सी-सेक्शन की जरूरत पड़ती है।
  • प्रीमैच्योर बर्थ की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा गर्भ पर अधिक भार के कारण शरीर में दर्द हो सकता है।

ताकि प्रेग्नेंसी रहे सुखद

टि्वन प्रेग्नेंसी में एक से अधिक बार चेकअप की जरूरत होती है ताकि मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा सके। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि कई बार एक बच्चा कमजोर होता है और दूसरा स्वस्थ। टि्वन प्रेग्नेंसी में हर चौथे सप्ताह में चेकअप अवश्य कराएं। जैसे-जैसे प्रसव का समय नजदीक आता है डॉक्टर कुछ टेस्ट्स और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कह सकते हैं। टि्वन प्रेग्नेंसी में वजन अधिक बढ़ जाता है और यह बच्चे के विकास के लिए जरूरी भी होता है।

इस दौरान रखें स्वास्थ्य का खयाल

यदि किसी का वजन औसत है तो गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन सामान्य से लगभग 600 अतिरिक्त कैलरीज की जरूरत पड़ती है। कितनी कैलरी लेना होगी यह वजन, जरूरत और दिनचर्या पर निर्भर करता है।

  • पोषक तत्वों का सेवन करें। फॉलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और दूसरे आवश्यक पोषक पदार्थों का सेवन अवश्य किया जाना चाहिए।
  • गर्भावस्था में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है ताकि शरीर में जल का सही स्तर बना रहे।
  • उपवास या व्रत से बचें और भूखे पेट न रहें। ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलावा बीच-बीच में हेल्दी स्नैक्स लें।
  • बेड रेस्ट की सलाह खास जटिलताएं होने पर ही दी जाती हैं। आमतौर पर डॉक्टर सामान्य कार्य करने की सलाह देते हैं इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के बेडरेस्ट न करें। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि बेड रेस्ट से प्रीमैच्योर डिलिवरी का खतरा बढ़ता है।
  • अगर वजन तेजी से बढ़ रहा हो या तेज सिरदर्द हो तो डॉक्टर को दिखाएं।
  • वजन ज्यादा होने से पैरों में सूजन आती है, इसलिए पैर लटकाकर देर तक न बैठें।
  • नमक का सेवन कम करें ताकि ब्लडप्रेशर अधिक न बढ़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published.