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जीत के बाद CM के नाम पर माथापच्ची, धूमल की हार से गड़बड़ाया BJP का समीकरण

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे की तलाश सिरदर्द बन सकता है। हिमाचल में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल हार गए हैं तो गुजरात में नए सियासी समीकरण को देखते हुए मौजूदा सीएम विजय रुपाणी के नाम पर एकराय नहीं है। ऐसे में हिमाचल में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और गुजरात में पुरुषोत्तम रुपाला की लॉटरी लग सकती है।

भाजपा नेतृत्व को गुजरात की कमान किसी मंझे नेता के हाथ में देने की जरूरत महसूस हो रही है। जैन बिरादरी के विजय रुपाणी अपने कार्यकाल के दौरान दलित, ओबीसी और पाटीदार आंदोलन को संभालने में नाकाम साबित हुए। फिर जैन बिरादरी की आबादी राज्य में बेहद कम है। ऐसे में राज्य के पूर्व अध्यक्ष और पाटीदार समुदाय के पुरुषोत्तम रुपाला को कमान दिए जाने की चर्चा है। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि यह फैसला बाद में लिया जाए, क्योंकि इसके लिए अब नेतृत्व के पास बहुत समय है। मगर यह निश्चित है कि अगर रुपाणी की दोबारा ताजपोशी हुई भी तो कार्यकाल बेहद छोटा होगा।

हिमाचल में भाजपा ने मतदान से ठीक पहले धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। हालांकि नेतृत्व की पसंद नड्डा थे। बिना नाम तय किए चुनाव मैदान में उतरने के कारण ठाकुर बिरादरी से नकारात्मक संदेश के फीडबैक के बाद धूमल के नाम का एलान हुआ था। राज्य में ठाकुर बिरादरी के 37 फीसदी तो ब्राह्मण बिरादरी के 17 फीसदी मतदाता हैं। नड्डा ब्राह्मण बिरादरी से हैं। उस समय आलाकमान को धूमल को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर ठाकुर बिरादरी के कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होने का डर सता रहा था। उनके चुनाव हारने के बाद पार्टी नेतृत्व के सामने नड्डा की ताजपोशी को लेकर कोई अड़चन नहीं है।

हिमाचल में ये भी दावेदार

नड्डा के अलावा हिमाचल में सीएम पद के लिए अजय जम्बाल और जयराम ठाकुर के नाम भी चर्चा में हैं। संघ के वरिष्ठ प्रचारकों में शामिल जम्बाल फिलहाल संघ के उत्तर पूर्वी राज्यों के प्रभारी हैं। वहीं ठाकुर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हैं और नड्डा का करीबी माना जाता है। चुनाव प्रबंधन के मास्टर राजीव बिंदल का भी नाम चल रहा है। 

हमीरपुर छोड़ने से लगा झटका

हमीरपुर की जगह सुजानपुर से चुनाव लड़ना प्रेम कुमार धूमल के लिए बड़ा झटका रहा। यहां धूमल को उनके चेले राजेंद्र राणा के सामने खड़ा करने के पीछे नड्डा खेमे की लॉंबिंग बताई जा रही थी।