बैठक में पहले विदेश सचिव और बाद में विदेश मंत्री ने डोकलाम पठार विवाद की ताजा स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। दोनों ने बताया कि इस विवाद में भारत का पक्ष मजबूत है। साथ ही यह भी याद दिलाया कि अपनी सुरक्षा के लिए भारत ने पहली बार सीमा पार कर भूटान के साथ मिल कर चीन को सड़क बनाने से रोका है।
सेना अब भी डोकलाम पठार पर टिकी हुई है और भारत तब तक वहां से अपने सैनिकों को नहीं हटाएगा जब तक चीन अपनी सेना को वापस नहीं बुलाता। सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्री ने इस दौरान विपक्ष से इस मुद्दे को ज्यादा तूल न देने का आग्रह किया और आश्वस्त किया कि भारत अपने हितों से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेगा।
इस दौरान विपक्षी नेताओं को इस दिशा में दोनों ओर से हुई पहल की भी जानकारी दी गई। बैठक में मौजूद सभी दलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ा होने की बात कही। साथ ही सरकार की कूटनीतिक स्तर पर समस्या का हल निकालने के स्टैंड का भी साथ दिया।
भारत-चीन सीमा विवाद पर बात करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि चीन ने नेहरू को धोखा दिया था। अगर मोदी सरकार भी सैनिकों को वापस बुलाती है, तो उनके साथ भी ऐसा ही होगा।
बैठक में कश्मीर की स्थिति पर पर डोभाल और गृह सचिव की ओर से जब दूसरी प्रस्तुति दी गई तब सरकार को कई तरह के असहज सवाल झेलने पड़े। जदयू के शरद यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में जारी हिंसा के लिए सरकार की संवादहीनता की नीति को जिम्मेदार ठहराया।
आजाद ने पूछा कि खुफिया जानकारी होने के बावजूद अमरनाथ यात्रियों को आतंकवादी निशाना बनाने में कैसे कामयाब हुए। शरद ने राज्य में किसी भी पक्ष से बातचीत न करने को ले कर सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि समस्या सरकार की ओर से अपनाई जा रही संवादहीनता है। येचुरी ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण कश्मीर की सिविल सोसाइटी भी सरकार के खिलाफ हो गई है। करीब-करीब सभी दलों ने सरकार से राज्य में संवाद प्रक्रिया शुरू करने की सलाह दी।
बैठक में कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, जदयू के शरद यादव, केसी त्यागी, एनसीपी के तारिक अनवर, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, द्रमुक की कनिमोझी सहित कई अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान सरकार की ओर से गृह मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने शिरकत की। चीन के संबंध में सवालों के जवाब सुषमा और जेटली ने दिए, जबकि कश्मीर मामले में गृह सचिव, गृह मंत्री और एनएसए ने जवाब दिए।