नौसेना मुख्यालय सूत्रों का कहना है कि इस प्रणाली से नौसेना के ऑपरेशन को काफी चुस्त-दुरुस्त किया जा सकेगा। मरम्मत-रखरखाव के स्तर पर सहूलियत मिलेगी। इतना ही नहीं साउथ ब्लॉक और नौसेना के ऑपरेशनल महानिदेशालय में बैठा व्यक्ति एक स्थान पर बैठकर सभी 198 वेसेल्स के बारे में जानकारी ले सकेगा। समय रहते जाना जा सकेगा कि किस उपकरण में क्या खराबी आ रही है। खराबी का स्तर क्या है और उसमें क्या-क्या बदलाव किए गए हैं। किन चीजों की मरम्मत की गई।
रुकेगा भ्रष्टाचार
एलएंडटी के सूत्र बताते हैं कि इससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को रोकने में भी मदद मिलेगी। सूत्र का कहना है कि नौसेना में मरम्मत के नाम पर काफी शिकायतें आ रही थीं। एक उपकरण की आवश्यकता के स्थान पर कई उपकरण खरीद लिए जाते थे। इस तरह से ऑपरेशनल सेवा जहां न केवल बहुत महंगी थी, वहीं तमाम समस्याएं आ रही थीं। सूत्र का कहना है कि एसएपी सिस्टम के इंस्टाल हो जाने के बाद अब इस तरह की कोई समस्या नहीं रहेगी। इतना ही नहीं रख-रखाव के खर्चे में भी भारी कमी आने के संकेत हैं।
युद्ध के समय नहीं रहेगी प्रणाली
सूत्र का कहना है कि एसएपी केवल शांतिकाल के दौरान चलने वाले ऑपरेशनों पर केंद्रित रहेगी। युद्धकाल में इसे हटा लिया जाएगा। उस समय नौसेना अपने पारंपरिक तरीके से ऑपरेशनल गतिविधियों को आगे बढ़ाएगी। सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के अनुसार अब नौसेना को सुई से लेकर बॉल बेयरिंग समेत अन्य सभी उपकरण जहाजों पर ले जाने से पहले रिकार्ड में अपलोड कराना होगा। जिसका दिल्ली के ऑपरेशनल महानिदेशालय में बैठा अधिकारी भी जायजा ले सकेगा।
सेना ने भी लिया सबक
नौसेना से सबक लेते हुए सेना ने भी अपनी प्रणाली में एसएपी सिस्टम को इंस्टाल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए भी एलएंडटी ही जिम्मेदारी निभाएगी। इस प्रणाली को सेना में इंस्टाल करने का खर्च करीब 300 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एसएपी प्रणाली को सेना, नौसेना के अलावा वायुसेना में लागू करने की योजना है।