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कुरीतियों के खिलाफ बिहार में बनेगी विराट मानव श्रृंखला

भारतीय समाज में पीडियो से चली आ रही सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जंग सी छेड़ चुके है. समाज में व्याप्त दो बड़ी बुराइया या यु कहे की दो बड़ी बीमारिया जो नासूर बनकर समाज को खोखला कर रही है वो है, बाल विवाह और दहेज प्रथा. इन कुरीतियों के खिलाफ नीतीश कुमार पुरे दम ख़म से लड़ रहे है और लोगो को खुद जागरूक कर रहे है. गौरतलब है की दहेज प्रथा एक बड़ी सामाजिक कुरीति है, जिसे मिटाना जरुरी है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के वर्ष 2015 के आंकड़ों की माने तो महिला अपराध की दर में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का 26वां स्थान है, पर दहेज मृत्यु के दर्ज मामलों की संख्या में बिहार का स्थान देश में दूसरा है.

इसी के चलते समूचे बिहार में 21 जनवरी 2018 को फिर से मानव श्रृंखला बनायी जाएगी. नीतीश कुमार ने मानव श्रृंखला में सबसे शामिल होने की अपील की है. उन्होंने कहा की जिस तरह 21 जनवरी 2017 को शराबबंदी के पक्ष में बिहार की जनता ने एक जुटता दिखायी थी, जिसकी देश ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में भी चर्चा हुई थी वैसा ही कुछ फिर से करना है. इतना तो तय है कि बिहार में जब से नशामुक्ति अभियान चला है इसका असर साफतौर पर देखने को मिल भी रहा है.

बिहार एक बार फिर नीतीश कुमार के सफल नेतृत्व में दहेज-प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ खड़ा होगा. 02 अक्टूबर को चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरा होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अभियान की शुरुआत का ऐलान किया था, जिसे बापू के विचारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक कहा जा सकता है. मुख्यमंत्री का कहना है कि दहेज एवं बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, इससे सभी वाकिफ भी हैं, इसे जड़ से मिटाना बहुत जरुरी है, हमारे यहां लगभग 39 प्रतिशत जो शादियां हो रही हैं वो बाल विवाह है. कानून तो वर्ष 1961 से ही बना हुआ है, बावजूद इसके अगर हम बात करें होने वाले बाल विवाह पर तो कुल विवाह में से करीब 69 प्रतिशत बाल विवाह होते हैं.