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कानूनों को ताक पर रखकर पट रहा पुराना तालाब, लेखपाल साहब बोलें-नहीं है जानकारी

देव श्रीवास्तव

लखीमपुर-खीरी।

भूगर्भ जल को बचाने के लिए सरकार द्वारा तमाम महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही है। कठोर कानून बनाए गए है, जिनमें पुराने कुओं व तालाबों को पाटना प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में अगर सरकार की कुछ अधीनस्थ कागजों में हेरफेर कर तालाब को पटवाने में लोगों की मद्द करें तो सम्भव है कि सरकार की मंशा कभी पूरी न हो।

 

जल ही जीवन है यह बात हर किसी को रोज-रोज को बताई जाए तो किसी विडम्बना से कम नहीं है। ऐसे में सरकार द्वारा लगातार जल सरंक्षण को लेकर करोड़ों रूपयों के विज्ञापन समाचार पत्रों व टेलीविजन पर दिखाए जा रहे है लेकिन शायद नौकरशाह इस बाद से इत्तेफाक नहीं रखते है। यही कारण है कि कुछ नौकरशाहों की मिलीभगत से भूमाफिया हर बार अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते है। मोटे लेन-देने के बाद ऐसे कई तालाब पाट दिए गए, आज उनके ऊपर इमारतें खड़ी हुई है। फिर एक बार ऐसा एक मामला सामने आया है जहां भू-माफियाओं नौकरशाह की मिलीभगत के कारण एक तालाब को पाटने का काम किया जा रहा है और सरकार के जल सरंक्षण को ग्रहण लगाने का प्रयास किया जा रहा है। यह मामला शहर के छाउछ चैराहे पर बनें एक तालाब का है। इस तालाब को पाटने के लिए वृहद स्तर पर कार्य जारी है। इस मामलें में जब लेखपाल राजीव वर्मा से बात की गई तो उन्होंने भी कार्रवाई की जगह गोल-मोल जवाब दिया। उनके कथानुसार सरकारी तालाब सिर्फ दो बीघे में है। बाकी जमीन खातेदारों की है। जिसने अब तालाब का रूप ले लिया है। शिकायत पर उन्हांेने काम रूकवाने की बात कही परंतु वह यह बताना शायद भूल गए कि जो पुराने तालाब है उन्हें कोई भी अब पटवा नहीं सकता साथ ही ऐसे मामलों पर जो त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए उसकी जगह वे भू-माफियाओं का बचाव करते नजर आए।