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करुणानिधि से मिले रजनीकांत, बोले- शिष्टाचार के नाते की मुलाकात

अभिनेता से नेता बने रजनीकांत ने बुधवार को डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि से उनके आवास पर मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच इस मुलाकात से तमिलनाडु में नए गठबंधन के कयास जोर पकड़ने लगे हैं.

पोयस गॉर्डन स्थित करुणानिधि के आवास से निकलने के बाद रजनीकांत ने कहा कि करुणानिधि से उनकी मुलाकात शिष्टाचार नाते  थी. उन्होंने कहा, ‘करुणानिधि देश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. मैं उनका सम्मान करता हूं. हमारे रिश्ते बढ़िया हैं. राजनीति में प्रवेश करने के बाद मैंने उनका आशीर्वाद लिया है. उनसे मुलाकात के बाद मैं बहुत खुश हूं.’ हालांकि रजनीकांत ने स्टालिन के बारे में कुछ कहने से इंकार कर दिया.

स्टालिन ने साधा रजनीकांत पर निशाना

दूसरी ओर डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने रजनीकांत पर निशाना साधते हुए कहा कि तमिलनाडु द्रविड़ आंदोलन का उद्गम स्थल है, जहां आध्यात्मिक राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है.

शीर्ष फिल्म अभिनेता रजनीकांत ने हाल ही में इसका जिक्र किया था. स्टालिन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा के कुछ दिन बाद रजनीकांत ने उनके पिता और द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि से उनके निवास पर मुलाकात की है.

रजनीकांत के आध्यात्मिक राजनीति के दावे पर सवाल खड़ा करते हुए स्टालिन ने बताया कि तमिलनाडु द्रविड़ आंदोलन का उद्गम स्थल रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हौआ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं कि रजनीकांत तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन को खत्म करने का इरादा रखने वाले लोगों के कहने पर पार्टी शुरू करने जा रहे हैं.

स्टालिन ने कहा, ‘मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह पेरियार अन्ना द्रविड़ कज़गम के संस्थापक ई वी रामसामी पेरियार और कलईगनर करुणानिधि की भूमि है. अतीत में भी ऐसे प्रयास असफल हो चुके हैं.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या रजनीकांत ने द्रमुक का समर्थन मांगा है तो इसपर उन्होंने बताया कि इन सब चीजों का फैसला चुनाव के दौरान ही किया जा सकता है.

पिछले साल 31 दिसंबर 2017 को राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा करते हुए रजनीकांत ने राजनीति में ईमानदारी और सुशासन की हिमायत करते हुए आध्यात्मिक राजनीति करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, सबकुछ बदलने की आवश्यकता है.

रजनीकांत के साथ DMK का गठबंधन?

ईपीएस-ओपीएस गुट और टीटीवी दिनाकरण के रूप में अन्नाद्रमुक में दो फाड़ होने के बाद डीएमके रजनीकांत के साथ गठबंधन करके वापसी करने की सोच सकती है. लेकिन 2017 के रजनीकांत और 1996 के थलाइवा में बहुत अंतर है. 1996 में रजनीकांत ने करुणानिधि के लिए प्रचार किया था, जब डीएमके सुप्रीमो ने जयललिता के खिलाफ तमिल मनीला कांग्रेस से हाथ मिलाया था.

रजनीकांत ने इस बार साफ कर दिया है कि वे डीएमके सहित किसी राजनीतिक पार्टी का सपोर्ट नहीं करेंगे. हालांकि करुणानिधि के साथ उन्होंने एक शिष्टाचार का रिश्ता बनाए रखा है.

करुणानिधि और रजनीकांत की मुलाकात के बाद एक डीएमके नेता ने इस बात को दोहराया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक करुणानिधि से मिलने पहुंच गए थे. डीएमके नेता ने कहा कि सब लोग इस बात को महसूस कर रहे हैं कि तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक की सरकार कमजोर पड़ रही है.

डीएमके सूत्रों ने कहा कि विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन डीएमके और बीजेपी साथ आते हैं तो राज्य और केंद्र का रिश्ता बेहतर हो सकता है. बता दें कि बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद तमिलनाडु में अपना रास्ता बनाने में नाकाम रही है. हालांकि उसकी कोशिश रजनीकांत को अपने पाले में खींचने की है, जिन्होंने राज्य में संपूर्ण बदलाव की बात कही है.

एक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अगर राज्य में सियासी खेल बदलता है, तो बीजेपी टीटीवी दिनाकरण के बजाय डीएमके-रजनीकांत गठबंधन पर दांव लगाना पसंद करेगी.

हजारों ने ज्वॉइन की रजनी की टीम

रजनीकांत ने 31 दिसंबर को राजनीति में उतरने की घोषणा की. कुछ ही दिनों के भीतर हजारों लोगों ने वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए रजनी की टीम को ज्वॉइन किया है.

दक्षिण भारतीय सिनेमा के लीजेंड ने जाति और धर्म के पूर्वाग्रहों से मुक्त आध्यात्मिक राजनीति की बात कही है. उन्होंने तमिलनाडु में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का इशारा किया है.

राजनीति में उतरने की घोषणा के बाद रजनीकांत ने सबसे पहले करुणानिधि से मुलाकात की है.