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और अन्तत: किसान को बैंक मैनेजर ने मार ही डाला

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।

वैसे तो भविष्यवाणियों को विज्ञान नकारता है परंतु एक किसान की मौत के मामले में  मैनेजर का पूर्वानुमान उसकी मौत की हकीकत बन गया। दरअसल बीमारी से जूझ रहे किसान को पैसों की सख्त जरूरत थी और मैनेजर मौत का पूर्वानुमान लगाते हुए उसके बचत खाते से पैसा देने को ही तैयार नहीं था। बेटे द्वारा कई दिनों तक किए गए तमाम प्रयासों व जिरह के बाद जब तक पैसा मिला तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि किसानों ने इलाज से पहले ही दम तोड़ दिया। पीडि़त परिवार ने बैंक मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को तहरीर दे दी है। 

जानकारी के अनुसार, रिपोर्टिंग चौकी ओयल क्षेत्र के ग्राम सुन्सी निवासी रामपाल पुत्र केशवराम करीब तीन साल से किडनी रिनेवल फेलो की बीमारी से जूझ रहा था। परिवार द्वारा उसके इलाज के लिए लगातार पैसों की व्यवस्था की जा रही थी। मेडिकल कालेज लखनऊ में रामपाल को महीने में कई बार डायलिसस के लिए जाना पड़ता था। दिसम्बर माह में ही करीब चार बार रामपाल की डायलिसस हुई। जिसके बाद डाक्टरों ने उसे 16 जनवरी का समय दे दिया। इसी समय अंतराल में मेडिकल कालेज पहुंचने के लिए उसके पुत्र आशीष कुमार ने स्थानीय इलाहाबाद बैंक के दर्जनों चक्कर लगाए। कारण था कि बीमारी के चलते पिता रामपाल का शरीर कमजोर हो चुका था। वह अपने साइन मैच नहीं करा पा रहा था। तो पुत्र ने प्रयास किया कि उसके पिता का खाता उससे ज्वाइंट कर दिया जाए ताकि वह लेन-देन कर सके। इसके लिए वह पिता को बैंक मैनेजर के सामने तक ले गया। लेकिन किसान की मौत का पूर्वानुमान लगा चुका बैंक मैनेजर किसी भी बात पर राजी नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे समय बीतता गया और डायलिसस की तारीख नजदीक आ गई। ऐसे में आशीष पर दबाव बढ़ा। उसने बीमार पिता के साथ बैंक पहुंचकर मैनेजर से पैसे निकालने की गुहार लगाई। फिर मैनेजर ने आना-कानी की तो विवाद होना भी लाजमी थी। दोनों के बीच काफी जिरह हुई। स्थानीय लोगों को जब मामला पता चला तो वह रामपाल की मदद के लिए आगे आए। लोगों ने बैंक मैनेजर पर पैसा निकाल देने का दबाव बनाया जिसके बाद मैनेजर ने पैसा तो निकाल दिया परंतु इन सबमें इतना समय खराब हुआ कि उसके बाद जब पिता को लखनऊ ले जाने के लिए परिवार निकला तो रास्ते में ही रामपाल ने दम तोड़ दिया। पुत्र आशीष ने बैंक मैनेजर अभिषेक गुप्ता के खिलाफ पुलिस में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। 

इस संबंध में जब बैंक मैनेजर अभिषेक गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि असलियत क्या है वह जानते हैं। जब जांच आएंगे तब वह बताएंगे कि गलती किसकी थी। वहीं चौकी इंचार्ज ओयल ने बताया कि पुत्र ने तहरीर दे दी है। लेकिन पिता के देहांत बाद होने वाले रीति-रिवाजों के चलते अभी तक कोई दोबारा नहीं आया है। जैसे ही कार्रवाई के लिए कोई आता है तुरंत घटना की तफ्तीश शुरू की जाएगी। 

और पता चला कि खाता लाक है

आशीष कुमार ने बताया कि जब बैंक मैनेजर आशीष गुप्ता ने साइन को लेकर आनाकानी शुरू की तो उसने ग्राहक सेवा केंद्र से पैसे निकालने की कोशिश की। वह अपने बीमार पिता को लेकर केंद्र पहुंचा। जब वहां फिंगर प्रिंट मशीन पर पिता का अंगूठा लगाया गया तो खाता सक्रिय नहीं हुआ। मालूम हुआ कि बैंक से उसके पिता का खाता ही ब्लाक कर दिया गया है। इस पर आशीष जब बैंक पहुंचा तो इसकी सही जानकारी देना तक बैंक मैनेजर ने मुनासिब नहीं समझा।