Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

उपचुनाव जीत ने कांग्रेस में भरी नई ऊर्जा, अब विपक्ष को एकजुट कर सरकार को घेरने की प्लानिंग

नई दिल्ली (एजेंसी)। राजस्थान के उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिली है। विपक्ष की बैठक के दौरान इसे महसूस भी किया गया। तमाम राजनीतिक दलों ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जीत की बधाई दी। दोनों ने इसे सहर्ष स्वीकार करके सभी दलों का आह्वान किया कि वे भाजपा से मुकाबले के लिए खुद को तैयार करें। अपने मतभेदों को भूलकर बजट व आम चुनाव के लिए विपक्ष का मोर्चा बनाएं। उनका कहना था कि आधार एक बेहतरीन व्यवस्था है, लेकिन सरकार इसका इस्तेमाल गलत तरीके से कर रही है। इससे लोगों की निजता को निशाना बनाया जा रहा है।

बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल

गुरुवार को संसद भवन के पुस्तकालय में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, राकांपा के शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, राजद की तरफ से मीसा भारती, जयप्रकाश नारायण, तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, भाकपा के डी. राजा, सपा के रामगोपाल यादव, माकपा के मोहम्मद सलीम, टीके रंगराजन, जद (एस) के के. रेड्डी, जदयू से अलग हुए शरद यादव, रालोद के अजित सिंह, जेएमएम के संजीव कुमार, एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल, केरल कांग्रेस के जॉय अब्राहम, आईयूएमएल व आरपीएस के नेता भी शामिल हुए। बसपा बैठक में शामिल नहीं हुई।

इन मुद्दों पर बैठक में हुई चर्चा

बैठक में जिन मसलों पर चर्चा हुई उनमें तीन तलाक बिल के साथ सुप्रीम कोर्ट के जजों का विवाद व उत्तर प्रदेश के दंगे शामिल हैं। सोनिया ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के साथ, घृणा की विचारधारा, जातिगत उन्माद को रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट रहना होगा। सभी को संवैधानिक दायित्वों के प्रति सजग रहना होगा। गौरतलब है कि राहुल की ताजपोशी के बाद सोनिया ने विपक्ष की किसी बैठक की पहली बार अगुआई की। कांग्रेस की योजना थी कि बजट पेश होने के बाद गुरुवार को एक बैठक की जाए, जिसमें वह सभी 17 राजनीतिक दल शामिल हों, जो राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति के चुनाव में एक झंडे तले आए थे। कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने विपक्ष के सभी दलों से एकजुट होने के लिए संपर्क साधा था। प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुई। बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद से जब पूछा गया कि क्या यह संप्रग-3 की शुरुआत है तो उनका कहना था– ‘मैं ये नहीं कहूंगा।’