मंगलवार की शाम सब कुछ प्रतिदिन की तरह चल रहा था। अचानक शाम को खबर आई की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महत्वपूर्ण मीटिंग के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन देंगे। इस एक खबर ने हलचल पैदा कर दी। लोगों को लगा शायद वे कोई बड़ा एलान करेंगे।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के मद्देनजर कयास युद्ध जैसी घोषणा को लेकर भी लगाए गए। पर उन्होंने जो कुछ कहा वह, सबके अनुमान से अलग निकला। उन्होंने 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की। अचानक लिए इस फैसले की हर ओर चर्चा हो रही है। लेकिन बहुत कम लोगों को उस आदमी के बारे में ज्यादा जानकारी होगी, जो पीएम के इस फैसले के पीछे अहम कड़ी है।
दावा किया जा रहा है कि वह शख्स कोई और नहीं इंजीनियर अनिल बोकिल हैं। मोदी ने अनिल को मुलाकात के लिए केवल 9 मिनट का वक्त दिया था, लेकिन मिले तो दो घंटे तक सुनते रहे।
क्योरा पर चर्चा : लोग पूछ रहे हैं कौन हैं अनिल बोकिल ?
- सवाल-जवाब की साइट क्योरा पर अनिल बोकिल को लेकर खूब सवाल किए जा रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों उनकी चर्चा हो रही है।
- बता दें कि अनिल औरंगाबाद के मेकैनिकल इंजीनियर हैं। वे पुणे की ‘अर्थक्रांति संस्थान’ के अहम सदस्य हैं, जिसके प्रपोजल पर प्रधानमंत्री ने नोटों को बदलने का फैसला लिया।
- अनिल बेहद साधारण तरीके से रहते हैं। वे औरंगाबाद में कई सफल प्रोजेक्ट कर चुके हैं। सोशियो-इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर कई सेमिनारों को संबोधित कर चुके हैं।
- 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले अनिल पीएम से मिले थे। उन्हें मुलाकात के लिए सिर्फ 9 मिनट का समय मिला था।
लेकिन जब करप्शन रोकने और नकली मुद्रा के चलने से बचने के लिए अपना प्रपोजल सुनाने लगे तब दो घंटे तक नरेंद्र मोदी उसे सुनते रहे।
क्या है अर्थक्रांति संस्थान ?
अर्थक्रांति संस्थान एक इकोनॉमिक एडवाइजरी बॉडी है। यह चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंजीनियर्स का ग्रुप है। अर्थक्रांति ने जो प्रपोजल पीएम को सौंपा था ब्लैक मनी की रोकथाम, महंगाई, करप्शन, बेरोजगारी और आतंकियों की फंडिंग रोकने में कारगर बताया गया।