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इसरो बना रहा है श्रीहरिकोटा में एक और लॉन्चपैड, अब अंतरिक्ष में भेज सेकेंगे ज्यादा सैटेलाइट

इसरो अपनी अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने की ताकत को बढ़ा रहा है। इसके लिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में एक और असेंबली बिल्डिंग बना रहा है। इस बिल्डिंग का निर्माण इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। बिल्डिंग के निर्माण के बाद इसरो की सैटेलाइट भेजने की ताकत डबल हो जाएगी। 
इसरो के चेयरमैन एस किरन कुमार ने कहा कि अभी इसरो के पास केवल सैटेलाइट की असेंबली करने के लिए एक ही बिल्डिंग थी। इस एक बिल्डिंग के कारण सैटेलाइट के पार्ट्स को एक दूसरे से जोड़ने में काफी समय खराब होता था।

अब एक और बिल्डिंग के बन जाने से सैटेलाइट को असेंबल करना जल्दी हो सकेगा। इसरो के इस कदम से वो साल भर में 12 से अधिक रॉकेट अंतरिक्ष में भेज सकेगा। फिलहाल इनकी संख्या 7 है। 

इसरो ने इस साल रचा था इतिहास
धरती के अवलोकन के लिए प्रक्षेपित किए जा रहे 712 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह पीएसएलवी-सी38 के साथ करीब 243 किलोग्राम वजनी 30 अन्य सह उपग्रहों को भी एक साथ प्रक्षेपित किया।

यह उपग्रह 505 किलोमीटर ध्रुवीय सूर्य स्थैतिक कक्षा (एसएसओ) में पहुंचने के लिए सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर उड़ान शुरू कर चुका है। पीएसएलवी-सी38 के साथ भेजे जा रहे इन सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब 955 किलोग्राम है। इसके प्रक्षेपण के बाद यह माना जा रहा है कि इसरो अंतरिक्ष पर अपनी संपत्ति की रक्षा सजग तरीके से कर  सकेगा। 

साथ भेजे जा रहे इन उपग्रहों में भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 14 देशों के 29 नैनो उपग्रह शामिल हैं। 

पीएसएलवी-सी38 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के फर्स्ट लांच पैड से प्रक्षेपित किया। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (एंट्रिक्स), इसरो की व्यावसायिक शाखा और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच व्यावसायिक व्यवस्थाओं के तहत 29 अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता नैनो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जा रहा है।

इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने चेन्नई हवाईअड्डे पर संवाददाताओं को बताया कि प्रक्षेपण के लिए सभी गतिविधियां जारी हैं। उन्होंने 19 जून को ‘मंगलयान’ अभियान के 1000 दिन पूरे होने पर बधाई दी। इसरो ने बताया कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का यह 40वां (पीएसएलवी-सी38) सफर होगा। 

 
 

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