मालूम हो कि जुलाई के पहले हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वामी को भी मामले में पक्षकार बनने की इजाजत दे दी है। स्वामी ने यह भी कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले को लेकर दायर मुख्य अपील पिछले सात वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लिहाजा इस पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए। स्वामी ने इस मामले में याचिका दायर उस जगह पर पूजा करने की इजाजत देने केलिए गुहार की है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2010 में विवादित स्थल के2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था।
दीगर हो कि कुछ महीने पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने की संभावना तलाशने के लिए कहा था। इसे लेकर पक्षकारों की ओर से प्रयास किए गए लेकिन समाधान नहीं निकल सका। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को मेरिट के आधार पर इस विवाद का निपटारा करना है।
पिछले कुछ समय से अयोध्या में राम मंदिर केनिर्माण को लेकर नेताओं के बयान आ रहे हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश केमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा-अर्चना के लिए अयोध्या गए थे और वहां उन्होंने अदालत के बाहर इसके समाधान की वकालत की थी।