दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दे पर विचार विमर्श किया।’ समझा जाता है कि द्विपक्षीय संबंधों के अतिरिक्त दोनों नेताओं ने खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिति और राजनीतिक घटनाक्रम पर भी चर्चा की। सुषमा के ईरान में ठहराव पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह कोई अनिर्धारित नहीं बल्कि तकनीकी ठहराव था।
नए रणनीतिक रूट की होगी शुरुआत
इस बंदरगाह के चालू होने से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच नए रणनीतिक रूट की शुरुआत होगी। इसमें पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं होगी। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति रुहानी भारत की विदेश मंत्री की मौजूदगी में इस बंदरगाह का उद्घाटन करेंगे। इससे पहले दोनों सुषमा और जरीफ ने चाबहार बंदरगाह परियोजना को लागू करने की समीक्षा की। इस परियोजना में भारत महत्वपूर्ण सहयोगी है। एक महीने पहले ही भारत ने अफगानिस्तान को चाबहार बंदरगाह के जरिये गेहूं भेजा था।