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अभी-अभी: आज पुराने नोट बदलने का आखिरी दिन, RBI कार्यालयों में मची रेलमपेल

A police officer stands guard in front of the Reserve Bank of India (RBI) head office in Mumbai April 17, 2012. The Reserve Bank of India cut interest rates on Tuesday for the first time in three years by an unexpectedly sharp 50 basis points to give a boost to flagging economic growth but warned that there is limited scope for further rate cuts. REUTERS/Vivek Prakash (INDIA - Tags: BUSINESS)

नई दिल्ली : जैसा कि पहले भी कहा गया था कि आज रिजर्व बैंक में नोट बन्दी के समय बन्द किये गए पांच सौ और हज़ार रूपए के पुराने नोटों को बदलने का आखिरी दिन है, लेकिन ये सुविधा सिर्फ उनके लिए हैं जो एनआरआई हैं, या फिर नोटबंदी के समय विदेश में थे. अब हालात यह है कि रिजर्व बैंक के कार्यालयों में अब नोट बदलने के लिए रेलमपेल मची हुई है. कई ऐसे लोग भी मिले जिनके पास प्रमाण होने के बाद भी पुराने नोट नहीं बदले जा रहे हैं.

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता कार्यालयों के सामने एनआरआई और नोटबन्दी के दौरान विदेश में रहे लोगों की कल भारी भीड़ उमड़ी. ये भीड़ पुराने पांच सौ और एक हजार के नोट बदलवाने की थी. स्मरण रहे कि गत वर्ष आठ नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लेकर 500 और 1000 के नोटों को बन्द कर दिया था.

रेलमपेल के बीच मिले हरियाणा पुलिस कांस्टेबल कृष्ण कुमार पिछले साल 4 नंबर से लेकर इस साल 22 फरवरी तक हिसार जेल में थे. अब हिसार जेल के अधीक्षक की चिट्ठी लेकर इस उम्मीद में दिल्ली में रिज़र्व बैंक आए हैं कि शायद उनके नोट बदल जाएं. वहीं, मध्यप्रदेश के ग्वालियर के राम कुमार के पिता का 26 फरवरी को निधन हुआ, पिता के सामान से उन्हें 44 हज़ार के पुराने नोट मिले. अब दिल्ली में 44 हजार के पुराने नोट बदलने के लिए हाथों में पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र लिए घूम रहे हैं.

बता दें कि कोलकाता में रिजर्व बैंक के बाहर भी कई ऐसे लोग मिले जो नोटबंदी के दौरान विदेश में थे पर अब उनके रुपए जमा नहीं हो रहे. ऐसे लोगों की सूची बहुत लंबी है. विदेशों में काम कर रहे लोगों से नोट जमा कराने के लिए क्लीयरेंस फॉर्म मांगा जा रहा है. मुंबई में भी रिज़र्व बैंक के आगे भारी भीड़ थी. यहां भी स्थानीय लोगो के अलावा दूसरे देशों में रह रहे लोग भी मौजूद थे, लेकिन यहां भी अधिकांश लोगों को निराश ही होना पड़ा.

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