एक जांच अधिकारी को हटाने के मामले में सरकार और एजेंसी से अलग राय रखने पर ईडी उन्हें बदलना चाहती थी लेकिन शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल को अपना काम जारी रखने को कह दिया था। वेणुगोपाल ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। इसमें उन्होंने उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को हटाने के लिए केंद्रीय कानून की वैधता का समर्थन किया था।
भाजपा सरकार के साथ उनका जुड़ाव अयोध्या आंदोलन के समय से है। वह उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और यह आश्वासन दिया था कि मध्यकालीन विवादित ढांचे की रक्षा की जाएगी।
हालांकि छह दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया। इसके बाद वह तत्कालीन चीफ जस्टिस एमएन वेंकटचलैया के घर पर शाम को बैठी पीठ के समक्ष पेश हुए थे। हाल ही में वह वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य की तरफ से शीर्ष अदालत में पेश हुए थे। इस मामले में शीर्ष अदालत ने सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश के आरोप बहाल कर दिए और ट्रायल दो साल में पूरा करने का आदेश दिया है।