2012 से 2017 के बीच बाघों की मृत्यु की घटना भारत में जोरो पर थी। हालाकि यह गौर करना जरूरी हैं कि बाघ दिवस मनाने की तारीख 2010 में ही सुनिश्चित कर दी गई थी। 2010 में यह एलान रूस में हुए संत पीटर्सबर्ग टाइगर समिट के दौरान किया गया था।
यह सिलसिला अब बढ़ कर अपने आठ साल पूरे कर चुका हैं। विश्व भर में 29 जुलाई को बाघ दिवस सोशल मीडिया के जरिए लोगों ने मनाया।
विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में मौजूद
2012 से 2017 के बीच 45% बाघों की मौतों का कारण लोग नहीं जान पाए। दरसअल इस बात को पर्यावरण मंत्रालय ने अपने एक रिपोर्ट में बताया।
भारत में लगातार 2011 से ही बाघों की जनसख्या बढ़ी हैं। इसका पूरा श्रेय जाता हैं NTCA( नेशनल बाघ संरक्षण विभाग) को। सही तौर पर यह श्रेय उन लोगों को जाना चाहिए जो दिन भर इनकी पहरेदारी में लगे रहते हैं। इस साल के अंत में आल इंडिया टाइगर असेसमेंट एक बार फिर बाघों की संख्या की नई संख्या जारी करेगा।
जाते जाते पढ़ते जाइए व्हाट्सएप्प से उठाई गई एक पोस्टर