लखीमपुर-खीरी।कई बार आपने टीवी और सीरियल में पुर्नजन्म की कहानी सुनी होगीं .. लेकिन क्या पुर्नजन्म होता है? इस बात को लेकर आध्यात्म और साइंस में हमेशा टकराव रहा है।
आध्यात्म जहां एक मनुष्य के सात बार तक जन्म लेने की बात कहती है तो वहीं साइंस पुर्नजन्म की बात को सिरे से खारिज करती है। लेकिन इन टकरावों के बीच कभी-कभार ऐसी घटनाएं भी घटती हैं जो साइंस के लिए चुनौती पेश करती है। कुछ ऐसा ही हुआ है ग्राम पंचायत सुआबोझ के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मक्कागंज में।
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पुर्नजन्म की घटना का मामला
गांव निवासी शिव कुमार उर्फ नारद के घर तीन साल पहले एक बच्चे ने जन्म लिया। उसका नाम रखा गया जीतन। तीन साल तक जीतन परिवार में घुला-मिला रहा। पर जैसे-जैसे उसने बोलना सीखा वैसे-वैसे वह अपनों को बेगाना सा मानने लगा। अचानक एक दिन उसने कहा कि उसका नाम विदेशी है और उसे अपने घर भोलापुर जाना है। वहां उसका परिवार और बीवी-बच्चे हैं। पहले तो परिवार को लेकर कि वह यूं ही कुछ कह रहा है। लेकिन रक्षाबंधन के दिन जब उसने अपनी ही बहनों से राखी बंधवाने से इंकार कर दिया तब परिवार को कुछ अंदेशा हुआ। उसने बहनों से कहा कि वह भोलापुर में रहने वाली अपनी बहनों से राखी बंधवाएगा।