Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

ऐसे करें इस दीपावली माँ लक्ष्मी की पूजा, होगी धनवर्षा

     आज दीपावली है और हम सभी लोग माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार की पूजा और अर्चना करते हैं. इस पर्व पर पूजा पाठ का खास महत्व होता है। तो ऐसे में मुहूर्त का भी खास महत्व होता है। क्योंकि सही मुहूर्त पर पूजा पाठ कर आप इस खास मौके का सही लाभ उठा सकते हैं और माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर धन धान्य अर्जित कर सकते हैं।

 इस साल विक्रम संवत् 2073 में कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार 30 अक्टूबर को सूरज उगने से पहले ही शुरू होकर रात 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगी।

3a40f2ac3c46d61ba5c90d14084cd237

दीपावली पूजन का समय 
        लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल और महानिशीतकाल में करना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है।लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल माना जाता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहरती हैं । इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीपावाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

प्रदोष काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 06:15 से 07:56

अवधि = 1 घण्टा 40 मिनट्स
प्रदोष काल = 05:20 से 19:56
वृषभ काल = 18:15 से 20:11

महानिशित काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = कोई नहीं
अवधि =0 घण्टे 0 मिनट्स
महानिशिता काल = 11:24 से 24:16+
सिंह काल = 24:45+ से 27:00+

चौघड़िया पूजा मुहूर्त

दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) = 07:41 – 11:50
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) = 13:13 – 14:35
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) = 14:21 – 22:13

दीपावली ध्यान एवम संकल्प विधि

पूजा के दौरान अपने मन एवम चित्त को शांत रखे, तथा पुरे श्रद्धा भाव से भगवान का ध्यान करे. इसके बाद हाथ में जल लेकर संकल्प करे साथ में पुष्प एवम अक्षत भी हाथ में ले ले. इसके बाद ध्यान करते हुए ऐसे संकल्प ले – अपना नाम, अपना स्थान, समय माता लक्ष्मी, सरस्वती एवम भगवान गणेश की पूजा करने जा रहा हूँ जिसका मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो.

इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए. तत्पश्चात कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है.

इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें. पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें. अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं. इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें.

दीपावली में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्त, कनकधारा एवम लक्ष्मी सूक्त का पाठ करे.

सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करे ततपश्चात देवी लक्ष्मी की आरती करे. उनके समक्ष 7 , 11 अथवा 21 दीपक जलाये तथा माता को श्रृंगार अर्पित करे. श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त व कनकधारा का पाठ करे आपकी पूजा पूर्ण होगी.

दीपावली पूजन विधि:

  स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निर्वित होकर सभी देवो का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए. यदि सम्भव हो सके तो दिन का भोजन नहीं करना चाहिए.

  • शाम के समय भगवान गणेश एवम लक्ष्मी की नयी प्रतिमा पूजा घर में रखे. एक चौकी लेकर उसमे स्वस्तिक का निशान बनाये तथा उसके ऊपर थोड़ा चावल छिड़कर भगवान गणेश एवम देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करे.
  • भगवान के मूर्तियों के समीप ही एक जल से भरा लोटा रखे तथा उसमे थोड़ा सा गंगा जल मिला ले. इसके पश्चात शुद्धि मन्त्र का उच्चारण करने के साथ उस जल को पहले भगवान की प्रतिमाओ में छिड़के फिर परिवार के सदस्यो एवम घर में जल छिड़ कर शुद्धिकरण करे.
  • पूजा के सामग्री गुड़, चन्दन, खिल, बताशे, मिठाई, पंचामृत, दुर्ग, फल, फूल, चौकी, गंगा जल आदि के साथ पुरे विधि विधान से भगवान की पूजा करनी चाहिए तथा साथ देवी सरस्वती, भगवान् विष्णु एवम कुबेर देव का भी विधि विधान से पूजा सम्पन्न करे.
  • 11 दीपक पूजा के दौरान जलाये जिनमे 10 छोटे दीपक तथा एक बड़ा दीपक होना चाहिए. बड़ा दीपक पूजा घर में ही दीप्यमान रहने थे तथा 10 दीपको को अपने दरवाजे के चोखट एवम गेट में लगा दे.

महालक्ष्मी मन्त्र

पूजा के दौरान महालक्ष्मी के इस मन्त्र का नित्य उच्चारण अवश्य करे.

ॐ श्रीं हीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः

दीपावाली पूजा मन्त्र

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

इसके पश्चात पृथ्वी माता को प्रणाम करते हुए निम्न मन्त्र बोले तथा उनसे अपने गलतियों के लिए क्षमा मांगे.

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

प्रदेश जागरण की ओर से आप सभी पाठकों को दीपावली हार्दिक शुभकामनाएं !

Leave a Reply

Your email address will not be published.