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समलैंगिक पुरुष समाज की लगातार उपेक्षा और बहिष्कार के कारण अपनी यौनिकता छिपाते थे

लखनऊ। समलैंगिक इस नाम और इस रिश्ते को जीने वालों समाज में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है कई बार तो ऐसा होता है कि उन्हें समाज अपनाता तक नहीं है इन्हीं बातो को लेकर राजधानी लखनऊ के गोमती नगर स्थित शिरोज हैंगआउट में जश्न फाउंडेशन के बैनर तले LGBTQ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में समलैंगिकता को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई। दिलचस्प बात यह रही कि इस कार्यक्रम में समलैंगिक समुदाय के लोगों ने बड़े ही बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने अपने निजी जीवन से जुड़े कड़वे अनुभव शेयर किए। साथ ही यह भी बताया कि उन्हें इस समाज में किस नजरिये से देखा जाता है।

इस कार्यक्रम के जरिए अपनी बात रख रही मेघा ने बताया कि दशकों पहले समलैंगिक पुरुष समाज की लगातार उपेक्षा और बहिष्कार के कारण अपनी यौनिकता छिपाते थे और किसी महिला से शादी कर लेते थे। आज जब समाज ऐसे रिश्तों को कबूल करने लगा है तब भी कई ऐसे समलैंगिक हैं जो अपनी शादी में बने रहना चाहते हैं। हमने खुद झेला है, जब मैंने अपने फ्रेंड्स को अपनी सच्चाई बताई थी तो उनका रिएक्शन क्या था। हालांकि मैं अपनी सच्चाई किसी से नहीं छुपाती, हाँ मैं लेस्बियन हूं इसे खुलकर स्वीकार करती हूँ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे डॉ सुप्रतिम त्रिपाठी ने कहा कि अब हमें इन सब से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। बायसेक्सुअल, होमोसेक्सुअल, गे, ट्रांसजेंडर हर कोई इंसान होता है इसे हमें खुद जैसा समझना चाहिए। उनका भी हमें उतना सम्मान करना चाहिए जितना एक आम इंसान को मिलता है। वहीं ऋत्विक जोकि खुद समलैंगिक हैं उन्होंने कहा कि मुझे डर सा लगता था कि यह समाज मुझे अपनाएगा या नहीं लेकिन अब चीजें बदलती देख सुखद एहसास होता है। मैं खुद लोगों से इस विषय पर बात कर उन्हें जागरूक करता रहता हूँ। हालांकि अभी बहुत कुछ बदलना बाकी रह गया है लेकिन उम्मीद है समय के साथ सब सही हो जायेगा। कार्यक्रम में बतौर गेस्ट पहुंचे अनुराग अनंत ने कहा कि जब देश की सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। अब आपको इस शब्द को सुन घबराना नहीं है। हमें ऐसे लोगों को अपनाना होगा। वो भी हम जैसे ही हैं।