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मोदी सरकार ने दी देश को बड़ी सौगात, खत्म किया ऑनलाइन भुगतान पर लगने वाला शुल्क

credit-cards_d58d28e2-c769-11e6-ad67-c7f41c1c9a76नई दिल्ली : मोदी सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए देश को एक और सौगात दी है। सरकार ने डेबिट कार्ड से अब इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क में राहत देने का फैसला किया है। इससे पहले डेबिट कार्ड भुगतान पर ट्रांजैक्शन शुल्क में राहत दी थी। इससे जहां आम जनता को राहत मिलेगी, वहीं कैश रखने के चक्कर से भी मुक्ति मिल जाएगी। सरकारी बैंकों से कहा है कि वे इमीडिएट पेमेंट सिस्टम (आइएमपीएस) और यूपीआइ से एक हजार रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर लगने वाले शुल्क को एनईएफटी के बराबर स्तर पर सीमित रखें।

आरबीआई के नियमों के अनुसार एनईएफटी के जरिये अपने खाते से 10,000 रुपये तक ट्रांसफर करने पर 2.5 रुपये देय होता है। 10000 रुपये से एक लाख रुपये तक पर शुल्क बढ़कर पांच रुपये हो जाता है। एक से दो लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर 15 रुपये और दो लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर 25 रुपये शुल्क लगता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर सेवा कर भी देय होता है। बैंकों से वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 1000 से अधिक के यूएसएसडी ट्रांजैक्शन पर इन शुल्कों में पचास पैसे की और रियायत दिए जाने की जरूरत है।

 फीचर फोन से एसएमएस के जरिये यूएसएसडी का इस्तेमाल बैंकिंग सेवाओं के लिए होता है। यूएसएसडी पर मौजूदा शुल्क की दर डेढ़ रुपया है। हालांकि 30 दिसंबर 2016 तक इसे शुल्क मुक्त रखा गया है। सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि डिजिटल और कार्ड से भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए ही वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को यह दिशानिर्देश दिया गया है। इसके मुताबिक सरकारी बैंकों से एक हजार रुपये से अधिक के आइएमपीएस ट्रांसफर अथवा यूपीआइ से भुगतान पर एनईएफटी के निर्धारित शुल्क से अधिक चार्ज वसूल नहीं किया जाए। अलबत्ता सेवा कर की मौजूदा दर लागू रहेगी। मंत्रालय का यह दिशानिर्देश 31 मार्च 2017 तक लागू रहेगा।
 

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