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बड़ीखबर: मानसरोवर यात्रा में चीन ने लगाई रोक, नाथू-ला दर्रे से तीर्थयात्रियों को लौटाया

mt-kailash-750नई दिल्ली : जब से पीएम मोदी ने असम में अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले ब्रम्हपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया है , तब से चीन के रवैये में आए बदलाव की पुष्टि तब हो गई जब सिक्किम के नाथू-ला के पास पहुंचे कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के दो जत्थों को चीन की सीमा से वापस लौटा दिया. इससे तीर्थ यात्री चिंतित हैं.चीन के इंकार के बाद दिल्ली सरकार ने विदेश मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

इस बारे में दिल्ली में तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल ने बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहले रवाना किए गए दोनों जत्थों को चीन ने नाथू-ला दर्रे से वापस लौटा दिया है. पहले जत्थे में 47 लोग हैं और दूसरे जत्थे में 44 लोग. हालाँकि इसके लिए तिब्बत में मानसरोवर की यात्रा के रास्ते में हुए भू स्खलन का कारण बताया जा रहा है.तीर्थयात्रियों को फिलहाल गंगटोक में रखा गया है. सिक्किम पर्यटन इन लोगों का पूरा ध्यान रख रही है.चीन के इस रवैये को देखते हुए दिल्ली सरकार ने विदेश मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है, लेकिन अभी तक समिति के पास विदेश मंत्रालय से कोई जानकारी नहीं मिली है.उधर मानसरोवर यात्रा के लिए दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों के अनुसार इस यात्रा को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि असम में अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले ब्रम्हपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया था. इस उद्घाटन के बाद चीन के रवैये में बदलाव आया है. इसके बाद चीन ने नाथू-ला से मानसरोवर यात्रा के लिए पहले से तय 8 जत्थों की अनुमति को घटाकर सिर्फ 7 जत्थों तक सीमिति कर दिया था . वहीं नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए निकले पहले दो जत्थों को सीमा से बैरंग वापस लौटाने की इस घटना को संदेह की नजर से देखा जा रहा है.

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