Lakhimpur/Dev Srivastava: दहेज हत्या के मामले में जेल के विचाराधीन बंदी की मौत के मामले में बेटे के लगाए आरोप ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। बेटे ने मिलाई के दौरान जेल में बंद पिता द्वारा चार हजार रुपए मांगे थे। आरोप है कि जेल में पैसे के लेन-देन को लेकर पिता की कुछ लोगों ने पिटाई की थी जिससे उनकी मौत हो गई थी। हालांकि जेल प्रशासन और पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
जेल में क्यों पड़ी पैसों की जरुरत
जिला जेल में पत्नी के साथ बंद संजय उर्फ संजेश (40) पुत्र चंदर सिंह निवासी भूलनपुर सरैंया थाना नीमगांव की सोमवार को अचानक तबियत खराब हुई थी। जेल स्थित अस्पताल में हालत सही न होने पर उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में बेटे विपिन ने बताया कि उसकी पत्नी दीपिका ने 16 अपै्रल 2015 को आत्मदाह कर लिया था। इस मामले में मायके पक्ष ने विपिन, उसके पिता संजय उर्फ संजेश व पत्नी राधे उर्फ मधु सिंह पर दहेज की खातिर बेटी को जलाकर मार डालने का आरोप लगाया था। पुलिस ने तीनों को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जहां से 15 सितम्बर 2015 को विपिन की जमानत हो गई थी।
पवन का आरोप है कि वह 20 फरवरी को अपने पिता से मिलने जेल गया था। वहां मिलाई के दौरान पिता ने उससे चार हजार रुपए मांगे थे। पवन का आरोप है कि उसके पिता को अवैध उगाही के लिए परेशान किया जा रहा था। जब पैसे नहीं मिले तो जेल के अंदर इसे लेकर उसके पिता की पिटाई की गई। जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। जेल प्रशासन ने उसका इलाज जेल अस्पताल में कराया जहां ही उसकी मौत हो गई। जिला अस्पताल में उसे मृत अवस्था में ले जाया गया। बेटे ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
मिलाई के नाम पर वसूली के लिए पहले भी लगे हैं आरोप
जिला जेल में मिलाई के नाम पर वसूली के आरोप नए नहीं है। इससे पहले भी जेल से रिहा हुए कई लोग इस प्रकार के आरोप लगा चुके हैं। आरोपों के मुताबिक कैदी को प्रति मिलाई के नाम पर जेल प्रशासन द्वारा तैनात किए गए गुर्गे दो सौ रुपए लेते हैं। हर महीने में कम से कम दो मिलाई के लिए लोगों को बुलाने का दबाव बनाया जाता है। यही वजह है कि जेल में बंद कैदियों को न चाहते हुए भी पैसे जमा करने पड़ते हैं।