उल्लेखनीय है कि जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद से ही निर्यातक, खास कर छोटे निर्यातक ड्यूटी के मसले पर आंदोलित हैं। इसी मसले पर पिछले सप्ताह निर्यातकों ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी मुलाकात की थी। उस दौरान उन्होंने बताया कि था कि छोटे निर्यातकों को बांड एवं बैंक गारंटी जमा करने से काफी दिक्कत हो रही है और उसे कार्यशील पूंजी के साथ-साथ बैंक गारंटी के लिए भी बाजार से ऋण लेना पड़ रहा है। उसी के बाद वित्त मंत्री ने कहा था कि निर्यातकों की जायज मांग मानी जाएगी।
छोटे निर्यातको को होगा फायदा
जीएसटी मामलों के विशेषज्ञ चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा डीएसपी एसोसिएट्स के पार्टनर अतुल जैन का कहना है कि इस फैसले से एक करोड़ रुपये से कम का निर्यात करोबार करने वाले छोटे निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी। इससे पहले तक निर्यात करने के लिए उन्हें बांड के साथ साथ बैंक गारंटी भी देनी पड़ती थी। इन सब कार्य में समय और श्रम लगता ही था, उचित धनराशि का भी इंतजाम करना पड़ता था।
शुक्रवार को जीएसटी परिषद की 22वीं बैठक
इसी बीच सरकार ने शुक्रवार, छह अक्तूबर 2017 को ही जीएसटी परिषद की 22वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित करने का फैसला किया है। पहले निर्णय हुआ था कि परिषद की 22वीं बैठक 24 अक्तूबर को अयोजित की जाएगी। मतबल इसका अयोजन समय से 18 दिन पहले हो रहा है। बताया जाता है कि इस बैठक में इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स (आईजीएसटी) रिफंड पर महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है।
इससे पहले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में जीएसटी नेटवर्क पर बने मंत्रियों के समूह की दूसरी बैठक हो चुकी है। इसमें जीएसटीएन की दिक्कतों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई है। इसकी पहली बैठक बीते 16 सितंबर को हुई है। उल्लेखनीय है कि सुशील मोदी के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय मंत्री समूह का गठन जीएसटी नेटवर्क पर तकनीकी खामियों की देखरेख के लिए किया गया है। साथ ही उनको यह जिम्मा भी दिया गया है कि वो सभी हितधारकों और इसके वेंडर (इंफोसिस) को उचित परामर्श भी दें।