नई दिल्ली: केंद्र ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक नानाजी देशमुख और गायक भूपेन हजारिका को 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर भारत रत्न देने का एलान किया गया है। नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों के योगदान का जिक्र करते हुए इन्हें भारत रत्न दिए जाने पर खुशी जताई है।
प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की सरकारों में विदेश मंत्री सहति कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। इससे पहले वह एनडीए सरकार में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उनका संसदीय कैरियर करीब पांच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था। वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गए। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल हुए। 2004 में कांग्रेस सरकार में वह रक्षा मंत्री बने। साल 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर आसीन रहे। 24 अक्टूबर 2006 को उन्हें भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया। 25 जुलाई 2012 को वह भारत के राष्ट्रपति बने।
चंडिकादास अमृतराव देशमुख एक भारतीय समाजसेवी थे। वे पूर्व में भारतीय जनसंघ के नेता थे। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी मत्रिमंडल में शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने यह कहकर कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मंत्रीपद ठुकरा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालंबन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए पद्म विभूषण भी प्रदान किया।
भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वह अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।