सिन्हा ने उनसे यह वादा करने के कहा कि अगर वह राष्ट्रपति बनती हैं, तो ‘नाम मात्र की (रबर स्टांप) राष्ट्रपति’ नहीं होंगी। सिन्हा ने मुर्मू से कहा, “मैंने संकल्प लिया है कि अगर मैं निर्वाचित होता हूं, तो मैं केवल संविधान के प्रति जवाबदेह बनूंगा। जब भी कार्यपालिका या अन्य संस्थाएं संवैधानिक नियंत्रण व संतुलन को नुकसान पहुंचाएंगी, तो मैं बिना किसी भय या पक्षपात के और ईमानदारी से अपने अधिकार का इस्तेमाल करूंगा। कृपया आप भी ऐसा ही वादा करें।
सिन्हा ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रपति के रूप में वह मोदी सरकार के ‘अधिनायकवाद’ और संविधान पर ‘हमले’ का विरोध करेंगे और वह राष्ट्रपति भवन में ‘रबर स्टांप’ नहीं होंगे। भारत का राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय है, लेकिन लगातार सत्ताधारियों पर उस समय की सरकार का पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह केंद्र सरकार की ओर से नामित है और इसलिए भी कि कार्यपालिका सत्तारूढ़ व्यवस्था है जो वास्तविक अधिकार का इस्तेमाल करती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया। सिन्हा अपने चुनाव प्रचार अभियान के तहत बेंगलुरु में हैं। उन्होंने रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग लिया। बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख डी के शिवकुमार और पार्टी के कई नेता और विधायक शामिल हुए।