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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर क्यों चुप्पी साधे है अज़ान पर

पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। भाषण के बीच में पास की मस्जिद से अजान की आवाज़ आती है। आवाज़ सुनते ही पीएम मोदी दो मिनट के लिए चुप हो जाते हैं। उस चुप्पी के बाद अपना भाषण ये कहते हुए शुरू करते हैं, ‘हमारे कारण किसी की पूजा, प्रार्थना में कोई तकलीफ़ ना हो, इसलिए मैने कुछ पल के लिए भाषण को विराम दिया। 2016, 2017 और 2018 में पीएम मोदी अपने भाषण के दौरान अजान सुन कर जब ‘चुप’ हो जाते थे, तो उनके धुर विरोधी आजम ख़ान तक तारीफ़ करते थे। लेकिन उनकी आज की चुप्पी सवालों के घेरे में है।इस बार नौकरशाहों ने भी इस पर सवाल उठे, न्यायालय में भी मामला पहुँचा और राजनीतिक विरोधी तो सवाल पूछ ही रहे हैं।

बुधवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी इन सब पर ख़ूब बोले,”सियासत के लिए एक ग़लत माहौल बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, क्यों भाई, जब मंदिरों में हो सकता है तो मस्जिदों में क्यों नहीं, दिन में पाँच बार नमाज़ होती है. इसमें गुनाह क्या है। आप हमें कहते हैं कि हलाल मीट नहीं खाना चाहिए. आख़िर क्यों? हमारे मज़हब में कहा गया है. आप इस पर रोक क्यों लगा रहे हो. हम आपको मजबूर नहीं कर रहे हैं खाने को. मुझे बताइए किस मुसलमान ने किसी ग़ैर मुसलमान को हलाल मीट खाने को मजबूर किया. आप अपने हिसाब से खाइए, हम अपने हिसाब से खाएंगे. हम आपसे नहीं कहते कि मंदिरों में माइक नहीं लगने चाहिए. मंदिरों में माइक नहीं लगते क्या? गुरुद्वारे में माइक नहीं लगता है क्या? लेकिन आपको केवल हमारा माइक दिखता है. हमारे कपड़े खटकते हैं, आपको सिर्फ़ हमारा नमाज़ पढ़ने का तरीका पसंद नहीं है। नौकरशाहों की चिट्ठी में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में कई राज्यों- असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, ख़ासकर मुसलमानों के प्रति नफ़रत और हिंसा में बढ़ोतरी ने एक भयावह आयाम हासिल कर लिया है. पत्र में कहा गया है कि दिल्ली को छोड़कर इन राज्यों में भाजपा की सरकार है और दिल्ली में पुलिस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे फ्री वैक्सीन, फ्री राशन, जनधन अकाउंट पर तो ये ग्रुप कभी कुछ नहीं कहता. पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार पॉजिटिव गवर्नेंस के एजेंडे पर काम कर रही है, जबकि इस तरह के ग्रुप नकारात्मकता फैलाने का काम कर रहे हैं।

पीएम से गुहार क्यों: नौकरशाहों की तरफ़ से लिखी चिट्ठी पर 108 लोगों के हस्ताक्षर हैं. इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव रहे टीकेए नायर शामिल हैं।