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सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है जोड़ों का दर्द? जानें बचाव के तरीके

डॉक्टरों की सलाह, ठंडे पानी से न नहाएं और पूछकर ही खाएं दवा 

लखनऊ। सर्दी के दस्तक देते ही लोगों के लिए परेशानियों का दौर शुरू हो गया। ऐसा माना जाता रहा है कि बदलते मौसम का सबसे ज्यादा असर उम्रदराज लोगों पर पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज जोड़ों का दर्द एक ऐसी समस्या बन गया है कि इससे कोई भी अछूता नहीं रहा। जैसे-जैसे मौसम में ठंडक बढ़ती जा रही है, तकरीबन लोगों में जोड़ों के दर्द की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि जैसे-जैसे तापमान में कमी आती है, जोड़ों की रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती हैं और उस हिस्से में रक्त का तापमान कम हो जाता है। इससे जोड़ों में अकड़ाहट बढ़ जाती है और दर्द होने लगता है।
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद स्वरूप ने बुधवार को बताया कि ठंड के मौसम में हमारे दिल के आसपास रक्त की गर्माहट बनाए रखने के लिए शरीर के अन्य अंगों में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है। जब त्वचा ठंडी होती है तो दर्द का असर अधिक तेजी से काम करता है। इस दर्द को आर्थराइटिस कहते हैं।
उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस आमतौर पर 40 साल से ज्यादा और खासतौर पर महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसमें शरीर का संपूर्ण भार उठाने वाले घुटने के जोड़ सबसे ज्यादा नुकसान उठाते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस में जोड़ों के साथ कुछ दूसरे अंग या पूरा शरीर भी प्रभावित होता है। यह आमतौर पर 25-35 साल के लोगों में ज्यादा होता है। हाथ पैरों के जोड़ों में दर्द, सूजन, टेढ़ापन, मांसपेशियों में कमजोरी, बुखार आदि इसके लक्षण हैं। इस आर्थराइटिस से गुर्दे और जिगर में भी खराबी आ सकती है।
कानपुर राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य रहे डॉ. आनंद स्वरूप कहते हैं कि उम्र के साथ हड्डियों से कैल्शियम और अन्य खनिज पदार्थों का क्षरण होने लगता है। किसी भी जोड़ में हड्डियां आपसी संपर्क में नहीं आतीं। जोड़ों के बीच में एक कार्टिलेज का कुषन होता है। जैसे ही हम बूढ़े होने लगते हैं कुषन को लचीला और चिकना बनाए रखने वाला लुब्रीकेंट कम होने लगता है। लिगामेंट्स की लंबाई और लचीलापन भी कम हो जाता है, जिसकी वजह से जोड़ अकड़ जाते हैं। नियमित कसरत और पौष्टिक आहार लेने से आप जोड़ों की चपलता को बरकरार रख सकते हैं।

सुबह की गुनगुनी धूप से खूब मिलता है विटामिन डी

एक अध्ययन में पाया गया है कि ठंड के दिनों में यदि विटामिन डी की भरपूर खुराक ली जाए तो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है। अध्ययन के दौरान 360 मरीजों में विटामिन डी के स्तर की जांच की गई और पाया कि सभी में विटामिन डी की मात्रा अपर्याप्त है। इन मरीजों को सर्दियों में तीन माह तक धूप का सेवन कराया गया। तीन महीने बाद इनमें विटामिन डी का स्तर भी सुधरा और जोड़ों के दर्द में भी काफी आराम मिला। धूप हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। धूप में बैठने से रक्तशोध बढ़ता है और जोड़ों के दर्द और सूजन से मुक्ति मिलती है।

योग करता है मदद

योग गुरुओं का मानना है कि जोड़ों के दर्द में कई महत्वपूर्ण आसन या योग, जैसे गिद्धासन व प्राणायाम मदद करते हैं। कॉरपोरेट कल्चर में बढ़ते वर्कलोड, तनावपूर्ण माहौल और शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण जोड़ों के दर्द की समस्या आम हो गई है। समय के अभाव में आप न तो अच्छी तरह व्यायाम कर पाते हैं और न ही गुनगुनी धूप का आनंद और लाभ उठा सकते हैं। लगातार कई घंटों तक एक ही कुर्सी और कंप्यूटर के आगे बैठे-बैठे आपके जोड़ अकड़ जाते हैं इसलिए जरूरी है कि आप अपने जोड़ों के लिए थोड़ा वक्त निकालें। खान-पान, मॉर्निग वॉक, कुछ आसन व कसरत जोड़ों को मजबूत रखने में मदद कर सकते हैं।

दर्द है तो सावधानी बरतें

-मरीज विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें। घुटनों को मोड़ने से बचें। लिफ्ट का इस्तेमाल करें।
-पालथी मारकर न बैठें। जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है।
-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। एक जगह पर खड़े तो 10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों।
-ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर सात मिनट के लिए घूमें फिरें। बॉडी को स्ट्रैच करें।
-महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है।
-जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी जगहों पर खुद को अच्छी तरह ढककर रखें
-दर्द से राहत के लिए सिकाई करें। अगर चोट ताजा है, प्रभावित जगह लाल और सूजी हुई है तो बर्फ से सिकाई करें।
-अगर चोट पुरानी है, चोटिल जगह में अकड़न है तो गर्म पानी से सिकाईं करें। वह जगह नरम पड़ जाएगी और आराम मिलेगा।