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व्हाट्सएप का बड़ा खुलासा! 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान इजरायली स्पाईवेयर के जरिए हुई थी भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट की जासूसी

 

नई दिल्ली।  आजकल लगभग हर कोई मोबाइल में वाट्एएप का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन इसको लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। फेसबुक के इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट की जासूसी को लेकर बड़ा खुलासा किया है।

व्हाट्सएप ने बताया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारत के कई एक्टिविस्ट, पत्रकारों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट्स के व्हाट्सएप पर नजर रखी गई थी। एक इजरायली कंपनी एनएसओ ने पेगसास  ‘स्पाइवेयर’ का इस्तेमाल कर दुनिया भर में करीब 1400 लोगों के व्हाट्सएप अकाउंट की निगरानी की गई।

द इंडियन एक्‍सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, व्हाट्सएप पर निगरानी का यह खुलासा सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय अदालत में हुआ है। व्हाट्सएप प्रमुख विल कैथार्थ का कहना है कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 20-25 भारतीय पत्रकार, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप अकाउंट पर नजर रखी गई थी।

व्हाट्सएप का सटीक जानकारी देने से इनकार

व्हाट्सएप ने भारत में इसका शिकार हुए लोगों की सटीक जानकारी देने से इनकार कर दिया है। द इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान करीब दो दर्जन शिक्षाविदों, वकीलों, दलित एक्टिविस्‍ट्स और पत्रकारों से व्हाट्सएप ने संपर्क किया था। साथ ही ये जानकारी दी थी कि मई 2019 में दो सप्ताह तक उनके मोबाइल फोन को सर्विलांस पर रखा गया था।

फेसबुक ने एनएसओ ग्रुप पर दायर किया मुकदमा

व्हाट्सएप की ऑनर कंपनी फेसबुक ने इस घटना के बाद इजरायली सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। फेसबुक ने आरोप लगाया है कि एनएसओ ग्रुप ने यूजर्स के स्मार्टफोन को हैक करने के लिए व्हाट्सएप की एक खामी का इस्तेमाल कर यूएस कंप्यूटर फ्रॉड और अब्यूज एक्ट और कानूनों का उल्लंघन किया है। यह पहली बार है जब यूजर्स पर इस प्रकार का हमला करने के लिए कंपनी ने किसी निजी संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की हो।

एनएसओ ग्रुप ने खारिज किए फेसबुक के आरोप

वहीं, एनएसओ ग्रुप ने एक बयान में फेसबुक के सभी आरोपों से इनकार किया है। एनएसओ ग्रुप ने कहा है कि वह फेसबुक के खिलाफ ‘सख्ती से लड़ने के लिए’ तैयार है। कंपनी ने कहा, “एनएसओ का एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के उद्देश्य से उन्हें तकनीक प्रदान करना है। हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ उपयोग के लिए डिजाइन या लाइसेंस नहीं है। इसने हाल के सालों में हजारों लोगों की जान बचाने में मदद की है।’