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उप्र : मराठाकालीन मंदिर में अपने स्थान पर घूमता है शिवलिंग

 

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद में मराठा कालीन मंदिर में स्थापित शिवलिंग बड़ी ही चमत्कारी है। यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती हैं इसीलिये अब इस मंदिर में हर साल धार्मिक अनुष्ठानों की धूम मचती है। पुजारी की मानें तो ऐसा शिव लिंग भारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा जो अपने अर्घ्य में घूमता रहता हो। महाशिवरात्रि पर्व में यहां विशेष प्रकार की पूजा और अनुष्ठान करने की तैयारियां मंगलवार से शुरू हो गयी हैं।

हमीरपुर नगर में कलेक्ट्रेट परिसर में एक मराठाकालीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर के आसपास अंग्रेजों के जमाने की ट्रेजरी और कलेक्ट्रेट था। मौजूदा में अंग्रेजी हुकूमत का ये कलेक्ट्रेट भवन ध्वस्त कर अब नया कलेक्ट्रेट बनाया जा रहा है। ट्रेजरी भी कायाकल्प हो चुकी है। इस मराठाकालीन मंदिर में पहले एक चूना पत्थर से बना मठ था। मठ से लगा एक पीपल का पेड़ है। करीब पांच फीट की ऊंचाई वाले इस मठ मंदिर में शिव लिंग व इसके ठीक सामने हनुमान जी की अनोखी मुद्रा में एक प्रतिमा स्थापित है। किसी जमाने में यहां जंगल था। बड़ी-बड़ी झाड़ियां और बबूल के पेड़ थे। शाम होते ही इस मराठाकालीन मंदिर के आसपास से कोई निकलने का साहस भी नहीं जुटा पाता था।

घूमता है शिवलिंग

मंदिर के पुजारी सुरेश चन्द्र मिश्रा ने मंगलवार को बताया कि मराठाकालीन मंदिर के सुन्दरीकरण के दौरान मठ के नीचे स्थापित शिव लिंग को मंदिर के दूसरी जगह स्थापित करने में कारीगर परेशान हो गये थे। किसी तरह शिवलिंग को निचले स्थान समेत उठाकर स्थापित कराया गया लेकिन शिव लिंग अपनी जगह पर नहीं रुके। वह आज भी अपने ही स्थान पर घूमते हैं। मंदिर के पहले पुजारी भी शिवलिंग को देख डर गये थे। सब्बल अवस्थी ने बताया कि कई दशक पहले शेरे पूनम ने इस मठ मंदिर का सुन्दरीकरण कराया था। इसके बाद सुभाष बाजार हमीरपुर निवासी शिवाकांत तिवारी ने मंदिर का विस्तार से सुन्दरीकरण कराया।

डर के मारे कोई मंदिर नहीं जाता था

वयोवृद्ध जगदीश गुप्ता का कहना है कि किसी जमाने में यह मंदिर वीराना था। अंग्रेजों के राज में डर के मारे कोई भी मंदिर नहीं जाता था। मंदिर के पीछे अंग्रेज हुकूमत की ट्रेजरी थी। उन्होंने बताया कि शुरु में अंग्रेज अधिकारी ही अपने परिवार के साथ मंदिर में जाकर पूजा करते थे। उनका मानना है कि यदि मन परेशान हो तो इस मंदिर में मराठाकालीन शिवलिंग के सामने सिर्फ दो मिनट बैठ जायें। निश्चित ही मन को शांति मिलेगी। इसीलिये सुबह और शाम लोग मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।

महाशिवरात्रि को लेकर विशेष पूजा और अनुष्ठान की तैयारी शुरु

महाशिवरात्रि पर्व को लेकर विशेष पूजा और अनुष्ठान करने की तैयारियां भी अब शुरू कर दी गयी हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन मराठाकालीन शिव लिंग नर्वदा के धावड़ी कुंड के शिव लिंग में जलाभिषेक कर विशेष तरह की पूजा होगी। कुछ साल पहले यहां के तत्कालीन जिलाधिकारी आरपी पाण्डेय ने भी शिव लिंग व हनुमान जी का अनोखी प्रतिमा देख नतमस्तक हुये थे। उन्होंने मंदिर का कायाकल्प भी कराया था।

विलक्षण प्रतिभा के मौनी बाबा ने मंदिर में जमाया था डेरा

यहां के सब्बल अवस्थी ने बताया कि कई दशक पहले इस मंदिर में विलक्षण प्रतिभा के मौनी बाबा डेरा जमाया था। वह कहां से आये थे यह किसी को मालूम नहीं हो सका, लेकिन उनके यहां रहने से मंदिर गुलजार हो गया था। उन्होंने बताया कि यह शिव लिंग सिर्फ नौ इंच का है जो हनुमान जी की पताली प्रतिमा के ठीक सामने स्थापित था। शिव लिंग में भी अद्भुत चमत्कार होते हैं। मौनी बाबा के बाद इस मंदिर में कई पुजारी आये और शिव लिंग के चमत्कार से डर के मारे वापस चले गये। बाद में भगवानदीन मिश्रा ने मंदिर में पुजारी का दायित्व संभाला जो कई सालों तक रहे। मौजूदा में सुरेश चन्द्र मिश्रा मंदिर के पुजारी है।

धावड़ी कुंड की शिव लिंग भी मंदिर में स्थापित

पंडित शिवाकांत तिवारी ने बताया कि मराठाकालीन मंदिर का कायाकल्प होने के बाद बगल में नर्मदेश्वर मंदिर का निर्माण भी उन्नीस साल पहले कराया गया था। नर्वदा के धावड़ी कुंड से एक शिव लिंग लाकर यहां प्राण प्रतिष्ठा करायी गयी है। उनका कहना है कि पुराणों में लिखा है कि बाणासुर हर रोज 1000 शिव लिंग बनाकर धावड़ी कुंड में प्रवाहित करता था। इसीलिये इस कुंड से शिव लिंग लाकर विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा करायी गयी थी। ये शिव लिंग करीब सवा फीट का है। जिसे स्थानीय लोग प्रतिदिन जलाभिषेक करते है। पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि नर्वदा के धावड़ी कुंड के शिव लिंग के सामने यदि सच्चे मन से कोई याचना करता है तो उस पर कृपा जरूर बरसेगी।