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उन्नाव दुष्कर्म पीड़ित की बहन ने कहा-सेंगर को फांसी की सजा मिलती तो ज्यादा बेहतर होता

 

लखनऊ। उन्नाव दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से उम्र कैद की सजा मिलने और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाये जाने पर पीड़ित परिवार ने खुशी जताई है।

दुष्कर्म पीड़ित की बहन ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि गुनहगार को सही सजा मिली है। उसने उम्मीद जताई कि शायद इस तरह के फैसले के बाद दूसरों के साथ इस तरह की घटना न हो। हालांकि अगर आरोपित विधायक को फांसी की सजा मिलती तो ज्यादा बेहतर होता लेकिन उम्र कैद की सजा भी अदालत का सही फैसला है।

पीड़ित की बहन ने कहा कि हमें इस न्याय के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। विधायक के लोगों ने जान से मारने की धमकी दी और सड़क दुर्घटना के बहाने मारने तक की कोशिश की। अपनी ताकत के दम पर जो कर सकते थे, वह सब किया। आखिरकार हमें न्याय मिला है। उसने इस लड़ाई में साथ देने के लिए कोर्ट, वकील से लेकर मीडिया सभी का धन्यवाद जताया। दुष्कर्म पीड़ित की बहन ने कहा कि हमारी आवाज पहले सुन ली गई होती तो जो जानें गईं, वह नहीं जाती। कोर्ट ने सही फैसला दिया है लेकिन हमें पूरा न्याय तभी मिलेगा जब चाचा को भी अदालत से जमानत मिल जाए।

पीड़ित के चाचा अपने ऊपर दर्ज मामले के कारण लम्बे समय से जेल में हैं। उसने कहा कि चाचा का नौ साल का बच्चा है, वह अक्सर उनके बारे में पूछता है। चाचा को गलत तरीके से फंसाकर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। मैं अविवाहित हूं। ऐसे में पूरे घर की जिम्मेदारी चाचा पर ही है। पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो चुकी है। इसलिए हमारी प्रदेश सरकार से अपील है कि हमारी बात सुनी जाए, चाचा को जमानत दिलायी जाए। हमें पूरा न्याय तभी मिलेगा जब चाचा बाहर होंगे।

दुष्कर्म पीड़ित के चाचा की जमानत याचिका बीती 08 नवम्बर को न्यायिक अभिलेखों में सफेदा लगाने के मामले में खारिज कर दी गई थी। आरोप था कि वर्ष 2000 में माखी थाना में दर्ज जानलेवा हमला, गाली गलौच व जान से मारने की धमकी के मामले में उसने न्यायिक अभिलेखों में सफेदा लगाकर अनुचित लाभ लेने का प्रयास किया था। इसमें विधायक के भाई अतुल सेंगर वादी है। इसके अलावा पीड़ित के चाचा पर अन्य मामलों में भी मुकदमे दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीड़ित के चाचा को सुरक्षा कारणों से रायबरेली की जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल शिफ्ट किया जा चुका है।

तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को आज सुनाई और जुर्माना लगाया। कोर्ट ने सीबीआई को पीड़ित और उसके परिवार को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है। कुलदीप सेंगर उन्नाव की बांगरमऊ सीट से चार बार भाजपा के विधायक रह चुके हैं। उन पर आरोप लगने के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। दुष्कर्म पीड़ित के पिता की 9 अप्रैल, 2018 को पुलिस कस्टडी में मौत हो चुकी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उन्हें 14 जगह चोटें लगने की बात सामने आई। लगातार लगे आरोपों के बाद 13 अप्रैल को सीबीआई ने विधायक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, उसके बाद गिरफ्तारी की और मामले में नई एफ़आईआर दर्ज की गई। पीड़ित परिवार एक बार फिर उस समय षड्यंत्र का शिकार हुआ,जब 28 जुलाई, 2019 को पीड़ित अपनी अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जा रही थी, जहां उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मारी। इस हादसे में पीड़ित की चाची और मौसी की मौत हो गई।

पीड़ित और उसके वकील का इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में चला और दोनों को लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। 1 अगस्त, 2019 को तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी पांचों मामले लखनऊ की अदालत से दिल्ली की एक सीबीआई अदालत को ट्रांसफ़र करने के आदेश दिए। 5 अगस्त, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित युवती को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ से दिल्ली लाने का आदेश दिया। 16 दिसम्बर को कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को अपहरण और बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया और शुक्रवार को सजा सुनाई।