Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

उमाकांत यादव 1991 में बसपा से खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से बने विधायक

चार फरवरी 1995 को शाहगंज जीआरपी सिपाही अजय सिंह के हत्याकांड में दोषी करार दिए गए सात लोगों में शामिल पूर्व सांसद उमाकांत यादव इसी साल 22 अप्रैल से जिला कारागार में बंद हैं। वे जब कोर्ट में पेश होने आए तो अपने हाथ में लाल रंग का रुमाल लेकर पहुंचे थे। निराशा के साथ-साथ गुस्से में भी दिखाई पड़ रहे थे। बसपा से मछलीशहर से एक बार सांसद बने उमाकांत यादव की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है। वे खुटहन से लगातार तीन बार विधायक रहे।  उमाकांत यादव 1991 में बसपा से खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से विधायक बने थे। इसके बाद 1993 में वे सपा-बसपा गठबंधन से दूसरी बार इसी सीट से विधायक चुने गए थे।

इसके बाद 4 फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही हत्याकांड हुआ था। हालांकि 1996 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद उमाकांत यादव बसपा का साथ छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए और खुटहन से सपा के ही टिकट पर विधायक बने थे। 2002 के विधान सभा चुनाव में उमाकांत यादव ने भाजपा-जदयू गठबंधन से खुटहन से चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा प्रत्याशी शैलेंद्र यादव ललई से हार गए। 2004 लोकसभा चुनाव में उमाकांत यादव जेल में बंद रहते हुए एक बार फिर से मछलीशहर से बसपा के टिकट पर भाजपा के केसरीनाथ त्रिपाठी को हरा कर सांसद बने थे। उमाकांत पर आजमगढ़ में जबरन एक घर गिरवाने का आरोप लगा था। बताया जाता है कि मायावती ने उन्हें लखनऊ में अपने घर बुलवाया था, बाहर पुलिस खड़ी थी, उमाकांत यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। वे लंबे समय तक जेल में रहे। मुख्यमंत्री रहते मायावती के इस फैसले से सब हैरान रह गए थे। इसके बाद साल 2007-08 में जेल में रहते हुए उमाकांत यादव पर जौनपुर में गीता नाम की महिला की जमीन फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराने का आरोप लगा था। गीता की याचिका पर जौनपुर दीवानी न्यायालय ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई। विधानसभा 2012 के चुनाव में मल्हनी विधान सभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था लेकिन,चुनाव आयोग ने सत्यापन किया तो उनके द्वारा  भरे शपथ पत्र में खामियों के चलते निरस्त कर दिया था।